मेरा नाम जिगर मनचंदा है। है। मै लकड़ी का व्यापारी हूँ। धनबाद में नगिना मस्जिद के पास मेरी दुकान है। कुछ दिनों पहले अकेलेपन की वजह से मै तनाव में आ गया था, इस लिए काम-काज से दूर हो कर केरेला घुमनें गया। वहीं मुझे एक भयानक अनुभव हुआ था जिसके बारे में मै सब को बताना चाहता हूँ। मेरा प्लान यह था की एक महिनें तक वहीं कहीं रहूँगा और मन हल्का हो जाने पर तरो-ताज़ा हो कर फिर से अपनी काम काजी दुनियाँ में लौट जाऊंगा।
उस
रात मै हॉटेल पर करीब रात दस बझे पहुंचा, काउंटर पर मैंने
कहा की मेरी बूकिंग है, पर रेसेप्शनिस्ट नें कहा की आप का
रूम तो आप ही नें Cancel करा दिया है। मेरे तो हौश उड़ गए।
मैंने उसको कहा की आप से ज़रूर कुछ गलती हुई है। पर वह लोग टस से मस नहीं हुए।
शायद
ज़्यादा पैसों की लालच में उन्होने मेरा रूम किसी और को दे दिया था। मैंने भी अंजान
शहर में ज़्यादा माथापच्ची ना करते हुए वहाँ से अपना online भरा हुआ advance वापिस ले कर जाना ही सही समझा।
उस
रात में करीब दो घंटे भटका,,, लेकिन किसी भी गेस्ट हाउस या
हॉटेल में कमरा नहीं मिला। अंत में मै एक ओपन पार्क में सामान के साथ बैठ गया। करीब
रात के 1 बझे मुझे वहीं बैठे बैठे नींद आ गयी।
अभी
मेरी आँख लगी ही थी की किसी नें मेरे पुट्ठे पर ज़ोर से कुछ मारा,,, आँख खोलने से पहले ही मेरे मुह से गाली निकल आई। सिर घूमा कर देखा तो
सामनें एक राक्षश जैसा मोटी तोंद वाला पुलिस वाला खड़ा था।
उसनें
मेरी और इस तरह देखा जैसे की में उसकी बेटी भगा कर ले गया हों। उस खविस छाप नें
मुझे बालों से पकड़ कर खड़ा कर दिया,,, शायद उसके हाथ
में मेरे कुछ बाल भी टूट कर आ गए थे। वोह गेंडा मेरी कोई बात सुनने को राज़ी नहीं
था,,, वह तो बस मुझे वहाँ से भगाना चाहता था। जैसे की वो public
park उसकी बीवी दहेज में लायी हों।
मैंने
उसको दस बार हाथ जोड़े पर उसनें मुझे उस पार्क में रात बिताने नहीं दी। वोह शायद
मेरी गाली से ज़्यादा भड़क गया होगा।
मुझे
समज़ नहीं आ रहा था की इतनी रात गए जाऊ तो जाऊ कहा। मै एक बस स्टॉप की Waiting सीट पर जा बैठा। सुम-साम अंधरे रास्ते पर मै अकेला था। तभी अचानक मेरे
पास सोया हुआ कुत्ता जाग कर ज़ोरों से रोने लगा।
उसे
इस तरह मेरी और देख कर, रोता हुआ देख कर मेरी तो साँसे तेज़
हो गयी। मुझे पता था की कुत्ते जिसकी और देख कर रोते हैं वह लोग जल्द मरनें वाले
होते हैं। अब मेरी ज़ोरों से फट रही थी।
मैंने
आव देखा ना ताव, सीधा उस कुत्ते की और मेरा कपड़ों से भरा हुआ
थैला फैंक मारा। कुत्ता मिमयता हुआ मुजसे करीब 50 मीटर दूर भाग गया। मै अपना थैला
उठा कर फिर से उस जगह बैठ गया। अब भी वह कुत्ता दूर से ही मेरी और देख कर रोये जा
रहा था।
यह
सब हो रहा था तब तक रात के 3 बझ चुके थे। मै सोच रहा था की जल्दी से सुबह हो जाए
तो डर का माहौल दूर हो जाए। कुछ देर हुई तो उस कुत्ते नें रोना बंद कर दिया और फिर
से वह दुम हिलाता हुआ मेरे पास आने लगा।
मेरी
समज में ये नहीं आ रहा था की उस सनकी कुत्ते का में करूँ क्या? मुझे लगा की, या तो उसे मेरी मौजूगी से बहुत नफरत
थी, या फिर उसे ये डर होगा की कहीं में उसकी किसी favorite
कुत्ती को भगा ना ले जाऊ। जो भी था पर वह टेड़ी दुम वाला जानवर मेरे
पीछे अपनें चारों पैर धो कर पड़ा था।
इस
बार वह थोड़ा दूर बैठा और एक टस मेरी और देखे जा रहा था।
फिर
अचानक वह कुत्ता खड़ा हो गया और दूर दूर से ही,,, मेरे
इर्द-गिर्द चक्कर काटने लगा। जैसे की उसे मेरे आस-पास कुछ भयानक चीज़ दिख रही हों। मैंने
फौरन पलट कर देखा तो पीछे की दीवार पर कोई परछाई थी। मैंने गौर किया तो पता चला की
उस परछाई का एक पैर गायब था। अब मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मै उसी वक्त खड़ा हो कर
वहाँ से चलने लगा।
अब
मै जान चुका था की मै किसी Danger जगह पर था, और कुत्ता मुझे देख कर क्यूँ रोये जा रहा था। मै अब पीछे मूड कर भी नहीं
देख रहा था। मुझे पता था की मूड कर देखनें से भूत प्रेत पीछे आते हैं।
वोह
कमीना कुत्ता अब भी मेरे साथ साथ मेरे आगे आगे चल रहा था। और वोह अभी मेरे आसपास
देख कर ज़ोर-ज़ोर से रोये जा रहा था। मुझे उस परछाई से ज़्यादा डर तो उस कुत्ते से लग
रहा था क्यूँ की वह मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था की मेरे पीछे वह भयानक चीज़
आ रही है।
कुछ
ही देर में उस कुत्ते पर किसी अंजान शक्ति नें ज़ोरदार हमला कर दिया। कोई अदृस्य
चीज़ उस बिचारे कुत्ते के साथ इस तरह टकराई जैसे की उस पर किसी नें बड़ी भारी चीज़ से
वार किया हों। मेरे सामनें ही वह कुत्ता रोड पर ढेर हो गया।
यह
खौफनाक नज़ारा देख कर मेरा सारा सामान मेरे हाथों से छूट गया। और मै सिर पर पर पैर
रख कर उधर से भागा। भागते भागते अगले चौराहे तक मै पहुंचा तो फिर से वह जल्लाद
जैसा मोटा police वाला मुझे मिला। मैंने उसके पास जा कर कहा
की भाई तुम मुझे जेल में बंद कर दो पर मेरे साथ आ कर पिछले रोड से मेरा सामान लेने
में मदद कर दो।
पता
नहीं क्यूँ पर उसे मुझ पर दया आ गयी और वो अपनी bike पर उस
जगह मेरे साथ आया जहां मै अपना सामान छोड़ कर भागा था। सामान ले कर जैसे ही मै बाइक
पर बैठा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने देखा की,,, वह रोड
पर पड़ा हुआ कुत्ता गायब था। वहाँ सिर्फ कुछ खून के धब्बे थे।
उस
पुलिस वाले नें मुझे Police station लेजा कर वहाँ की बैंच
पर सुबह तक आराम करने की इजाज़त दे दी।
0 comments: