मेरा
नाम मीत लांबा है। मै नासिक का रहने वाला हूँ। लाल पेलेस एरिया
में हमारा छोटा सा टैनामेंट मकान है। हमारा घर सिटि से थोड़ा दूर है और Developing
एरिया में है तो घर के पास ज़्यादा लोग नहीं रहते है। मुश्किल से आस
पास 10 या 12 घर हैं। बाकी प्लोट्स और जाड़ जंखाड़ ही है। मेरे पापा नेवी में हैं तो
वह महीनों तक घर से बाहर ही रहते हैं। घर पर मै और माँ ही होते हैं। मैंने अभी अभी
Engineering पूरी की है। जॉब ढूंढ रहा हूँ। तो लगभग पूरा दिन
घर पर ही होता हूँ। हमारे घर के ठीक सामने एक बैरी का पैड था। उसी के बारे में आज
मै सब को बताना चाहता हूँ।
करीब
एक महीने पहले की बात है,,, सुबह-सुबह हमारी पड़ोसन रेखा
भाभी किसी बकरी चराने वाले से जगड़ रही थी। वोह बिचारा बैरी की मुलायम डालियाँ
और पत्तीयाँ काट काट कर अपनी भूखी बकरियों को खिला रहा था। रेखा भाभी को मैंने
बोला की भाभी खिलाने दो,,, वैसे भी यह बैरी का पैड कहाँ आप
के या हमारे बाप-दादा की जागीर है।
रेखा
भाभी को मेरी बात इतनी बुरी लग गयी की वह बकरी वाले को छोड़ कर मुझसे जगड़नें लगी। बात
यहाँ तक आ पहुंची की उसनें मेरे घर आ कर मेरा गिरेबान पकड़ लिया,,, और मुझे धमकाने लगी। अब मेरी भी पूरी तरह से सटक चुकी थी।
मैंने
उसको कहा की अब देख,,, तीन दिनों में ना तो यह बैरी का
पैड दिखेगा ना इसका नामो-निशान दिखेगा।
कुछ
ही देर में सारे पड़ोसी आ गए और उन्होने हमको अलग कर दिया। मैंने सब के सामने तभी
अपनें घर के अंदर जा कर संडास में पड़ा तेज़ाब ले आ कर बैरी के पैड के तनें में डाल
दिया। और रेखा भाभी को बोला की अब करना है वह कर लो,,, नहीं
रहेगा यहाँ कोई जाड़।
रेखा
भाभी जंगली सांढ की तरह घुरराती हुई अपनें घर चली गयी,,, तभी मेरी माँ भी बाज़ार से आ गयी। माँ नें मुझे खूब डांटा। पर जब माँ को
ये पता चला की रेखा भाभी नें घर आ कर मेरा गिरेबान पकड़ा था तो,,, मेरी माँ रण-चंडी बन गयी,,, और रेखा के घर में घुस
गयी,,,
अब
मेरी माँ के हाथों में रेखा भाभी के बाल थे,,, और वह मेरी माँ
के द्वारा ज़मीन पर घसीटी जा रही थी। उस दिन मुझे पता चला की मेरी माँ मुझसे कितना
प्यार करती है। इस बार मैंने और अन्य पड़ोसियों नें उन दोनों को अलग करवाया।
रात
के करीब बारह बझे मुझे बैचेनी होने लगी। अचानक घर का माहौल गरम हो गया। थोड़ी देर
मै अपनें बिस्तर पर जागता पड़ा रहा,,, तभी अचानक मुझे
एक ज़ोरदार खून की उल्टी हुई और मै वहीं चक्कर खा कर धड़ाम से गिर पड़ा।
मेरे
गिरनें की आवाज़ सुन कर मेरी माँ जट से मेरे कमरे में आ गयी। उसनें मुझे पानी मार
कर हौश में लाया। माँ नें कहा की तेरी आंखे क्यूँ लाल है,,, और तेरे बाल तो देख पूरे अकड़ गए हैं। तुझे क्या हुआ?
मैंने
काँपती आवाज़ में उस जगह पर इशारा किया जहां मैंने खून की उल्टी की थी। माँ नें
जैसे ही वह सब देखा वह पागलों की तरह चिल्लाने लगी। माँ नें उसी वक्त पूरे मोहल्ले
को हमारे घर बुला लिया,,, जब रेखा भाभी को पता चला की
मैंने खून की उल्टी की है तो वह भी हमारे घर के बाहर आ कर खड़ी हो गयी,,,
कुछ
ही देर में पड़ोसियों नें डॉक्टर बुला लिया। डॉक्टर को भी मेरी प्रोब्लेम समझ नहीं
आई। उसनें कहा की कुछ पता नहीं चल रहा है,,, स्ट्रैस ना लें,,, और फिलहाल आराम करें।
कुछ
देर बाद सब घर लौट गए,,, पर रेखा भाभी वहीं बाहर खड़ी रही,,, माँ नें भी गुस्सा थूक कर रेखा भाभी को कहा की आप घर जाइए मेरा बेटा ठीक
हो जायेगा। तभी रेखा भाभी नें कहा की,,,
दो मिनट बात करनी
है आप बहार आएगे।
माँ
नें उन्हे घर के अंदर ही बुला लिया, और पूछा की कहिए
क्या बात है?
तब
रेखा भाभी नें बैरी के पैड का रहस्य बताया,,, उन्होने कहा की,,,
जिस
विस्तार में जो इन्सान अकाल मृत्यु पाते हैं वह भूत प्रेत बन कर घूमते है,,, उन्हे थकान होने पर वहाँ आस पास लगे किसी बैरी के पैड के काँटों पर, उन्हे थोड़ी देर बैठने की इजाज़त होती है। इसी लिए में इस पैड को काटने पर
मना कर रही थी।
बैरी
के पैड को काटने से, उसे नुकसान पाहुचने से वहाँ रहने
वाले या बैठने वाले भूत-प्रेत क्रोध में आ कर जान-लेवा हमला कर सकते हैं। आप के
बेटे पर भी शायद ऐसा ही कुछ हुआ है।
थोड़ी
देर तो मुझे और माँ को लगा की रेखा भाभी हमें खामखा डरा रही है, लेकिन जब उसनें अपनें घर से एक वास्तु शास्त्र और पुनर्जन्म से जुड़ी
किताब में वह बात लिखी हुई बताई तब हमें उसकी बात माननी ही पड़ी।
अलगे
ही दिन जब सुबह हुई तो मरे नज़र उस बैरी के पैड पर गयी,,, उसके सारे पत्ते जड़ गए थे,,, और मेरे डाले हुए
तेज़ाब से उसका तना (जड़) जल कर काली पड़ चुकी थी। अब मुझे काफी डर लग रहा था,,, मुझे ऐसा लग रहा था की कहीं रेखा भाभी की बात सही ना निकले।
उसी
दिन मेरी माँ मुझे एक महात्मा के पास ले गईं। उन्होने मुझे समजाया की,,, पैड कोइसा भी हो उसे काटना या जलाना बहुत बड़ा पाप है। उन्होने यह
भी कहा की,,, खून की उल्टियाँ भूत प्रेत करवा सकते हैं।
और वह बैरी के पैड पर बैठते हैं। यह बात ग्रंथों में भी लिखी है।
फिर
उन्होने कहा की,,, तुम आज ही उस पैड के पास जाओ हाथ जोड़ कर
उस पैड से माफी मांगो और उस जले हुए पैड को जड़ से कटवा दो,,, और उस जगह कोई अन्य दूसरा अच्छा पैड बो देना।
उसी
दिन मैने उस पैड से हाथ जोड़ कर, अपनी गलत हरकत की, दिल से माफी मांगी। फिर माँ नें उसी दिन उस बकरी वाले को कुछ पैसे दे कर वह
पूरा पैड जड़ से कटवा लिया और माँ नें मेरे हाथ से वहीं एक नया पौधा लगवा दिया।
“इस घटना से मुझे सीख मिली की गलती किसी की भी हों,,, ज़बान पर काबू रखना चाहिए और कभी भी पैड को नुकसान नहीं पाहुचना चाहिए,,,, चूँकि क्या पता, किस पैड पर किस जीव का वास हों,,,”
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