Wednesday, May 10, 2017

7 symptoms of lazy and unsuccessful people - kaamchor aur aalsi logo ke lakshan - कामचोर और आलसी लोगों के लक्षण


जीवन में सफलता और सम्मान कभी भी विरासत में नहीं मिलता है। पैसे और पहेचान के दम पर इन्सान अवसर तो हासिल कर सकता है, परंतु सफलता और ख्याति तो केवल कर्मयोगी को ही मिलती है। कई लोग खराब नसीब होने और उपयुक्त अवसर ना मिलने का रोना रोते रहते हैं और खुद की नाकामयाबी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ कर दूसरों को दोषी ठहेराते हैं। आइये जानते हैं इस प्रकार के आलसी और बहानेबाज़ लोगो के लक्षण.... 




List of worthless people's 7 symptom - कामचोर और असफल लोगों के 7 मुख्य लक्षण    

  1. खुद पर भरोसा ना करने वाले और बार बार खुद को कोसने वाले लोग हमेशा जीवन में निराशा ही पाते हैं। व्यक्ति को हमेशा खुद को प्रोत्साहित करना चाहिये। इन्सान को खुद पर घमंड नहीं पर गर्व तो होना ही चाहिये। अगर इन्सान खुद ही अपने आप को बेकार और कमज़ोर समझेगा और अन्य लोगों के समक्ष खुद को निम्न प्रस्तुत करेगा तो दुनियाँ अवश्य ही उस पर नाकारा होने की मोहर लगा देगी।
  2. जिन लोगों को अपने काम के प्रति उत्साह और सफलता पाने की ज़िद (धुन-लगन)नहीं होती है ऐसे लोगों का ध्यान कभी भी अपने काम में लगता नहीं है, और इसी लिए ऐसे लोगों को अपने सफलता प्राप्त नहीं होगी। काम वही करना चाहिये जिसमें खुद को प्रसन्नता मिले और काम में मज़ा तभी आता है जब याद ना रहे की काम खत्म कर के घर जाने का समय तो कब का बीत चुका है।
  3. कंकड़-पत्थर और धूल के जैसे लक्षहिन व्यक्ति कभी कोई सफलता नहीं पा सकते हैं। हर एक व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य अवश्य होना चाहिये। फिर भले चाहे वह लक्ष्य प्राप्त हों या ना हों। लक्ष्य होगा तो महेनत करने का मन होगा, महेनत करेंगे तो सफलता या असफलता मिलेगी और कर्म करने से ही तो अनुभव मिलेगा, सीख मिलेगी।
  4. बातों के शेर हमेशा भूखे ही मरते हैं। कुछ लोग सिर्फ बाते बनाने में अव्वल होते हैं पर जब काम की बात आती है तो मिया फुसकी बन जाते हैं। इस तरह के लोग जीवन में सिर्फ बाते बना सकते हैं सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
  5. सही समय का इंतज़ार करने वाले लोग इंतज़ार करते ही रह जाते हैं। एक बार लक्ष्य निर्धारित कर लें फिर उस पर अमल कर देना ही सही होता है।
  6. खुद को कुए का मेंढक बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी प्रगति नहीं करता है। लोगों से मिलना और नयी नयी चीज़ें सीखना व्यक्ति को ज्ञानी और सफल बनाता है।
  7. ईर्षा करने वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं होता है। अगर ऐसा दुर्गुणी व्यक्ति गलती से सफल हो भी जाये तो वह दूसरों को सफलता देख देख जलता रहता है। ऐसा विघ्नसंतोषी व्यक्ति कभी सुख और संतुष्टि प्राप्त नहीं कर पाता है। ऐसे लोगों का अधिकतर समय खुद कुछ हासिल करने की बजाय दूसरों की टांग खिचने और उन्हे नीचे गिराने में ही बीतता है।     

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