ताज महल
ताज महल एक बादशाह नें अपनी बेगम की याद में बनाया था। ताज महल वर्ष 1631 में शाहजहाँ नें अपनी रानी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। विश्व की सात अजायबीयों में शामिल ताज महल भारत देश का एक प्रमुख यात्री आकर्षण स्थान है। कई परदेशी और भारतीय सैलानी इस प्यार की निशानी को देखनें के लिए, उत्तरप्रदेश के आग्रा शहर में आते हैं।ऐसा कहा जाता है की बच्चे को जन्म देते वक्त मुमताज़ महल की मौत हो गयी थी। मुगल सम्राट शाहजहाँ अपनी बेगम मुमताज़ महल से बै-हद मूहोब्बत करते थे। इसी लिए उन्होने अपनी पत्नी का मकबरा इतना भव्य बनवाया की, मौत के बाद उनकी बेगम की रूह को भी कोई तकलीफ ना हों। ऐसा भी कहा जाता है की ताज महल जैसा और कोई दूसरा मुजस्तिमा (इमारत) ना बन सके इस लिए शाहजान नें ताज महल के सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे।
मिस्र के पिरामिड
मिस्र में सम्राट को
फेरो कहा जाता है। एक पिरामिड में राजा के शव को दफना कर शूरक्षित रखा जाता था। फेरो
(सम्राट) को किसी चीज़ की कमी ना हों इस लिए उनके कर्मचारी, उनकी
रानियाँ और अन्य सहायकों को भी वहीं पिरामिड में दफन किया जाता था।
मृतक फेरो (सम्राट) के शव के साथ अनाज, जल, कपड़े, वाद्य यंत्र, जानवर, बर्तन, हथियार और अन्य चिज़े जिनहे फेरो अपनें जीवन काल के दौरान इस्त्माल करते हों उन सब को साथ दफन किया जाता था।
मिस्र में कुल एक सो अड़तीस से अधिक पिरामिड हैं। पर काहिरा के उपनगर गिज़ा में स्थीत तीन पिरामोडों में से एक पिरामिड “ग्रेट पिरामिड” ही विश्व की सात अजायबीयों में शामिल है। यह लाजवाब पिरामिड 3200 ईसा पूर्व में निर्माण किया गया था।
ऐसी भी अफ़वाएं हैं की किसी सम्राट की मृत्यु हो जाने पर उसके मकबरे (पिरामिड में) उनके सेवक और उनकी पत्नीयों को जीवित ही दफन कर दिया जाता था। ताकि फेरो को किसी चीज़ की कमी ना रहे।
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