मित्रों, आज के समय में हर एक क्षेत्र में विकट
प्रतिस्पर्धा का माहौल है। व्यक्ति को अपनी प्राथमिक जरूरते पूरी करने के लिए भी
कडा संघर्ष करना पड़ता है, भौतिक सुविधाओं की पूर्ति करना तो दूर की बात है। हमारे
देश में महत्तम परिवारों में, प्रति एक परिवार में कमाने वाले व्यक्ति की संख्या
एक या दो होती है। मतलब की, अंदाजन चार से छे परिवार सदस्यों के बीछ कमाने
वाला एक या दो। और कहीं दुर्भाग्य वश कमाने वाले व्यक्ति के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना
हो जाए, या वह अचानक अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो ऐसी स्थिति में
पूरा परिवार संकट में आ जाता है। पुरानी कहावत है “पानी आने से पहले पार लगा लेनी
चाहिए”।
आज के समय में हर एक व्यक्ति को आर्थिक स्वरूप में
स्वावलंबी और आत्मनिर्भर हो जाना परम आवश्यक है। ताकी विपदा आने पर परिवार बिखर ना
जाए, और विकट परिस्थिति का सामना सहजता से किया जा सके। व्यक्ति किस
प्रकार से आर्थिक रूप से सद्धर (आत्मनिर्भर) हो सकता है उसी विषय पर कुछ सुजाव
नीचे प्रदर्शित सूची मे बताए गए हैं।
टेरेस गार्डनिंग कर के खर्च बचाएं
अगर कोई व्यक्ति किसी सोसायटी में या अपार्टमेंट
में निवास करता है। और घर के आस पास बरामदा या खुली मिट्टी वाली ज़मीन नहीं है,
तो वह व्यक्ति, घर या अपार्टमेंट की छत पर प्लास्टिक की बोतलें या
मिट्टी के घमलों में पौधे लगा कर सब्जी, फल-फूल, और उपयोगी हरी पत्तीयों के पौधे लगा कर पाक ले
सकता है। ऐसा करने से प्रति माह सब्जी का खर्चा बच जाएगा। और बिना रसायनिक मिलावट
वाली सुद्ध शुद्ध सब्जियाँ और फल फूल प्राप्त होंगे, जिस से सेहत बनी रहेंगी,
और पैसों की बचत भी होगी। बचत किया हुआ पैसा एक प्रकार की इन्कम ही है।
गृह उद्योग या व्यवसाय शुरू
करें
·
पापड़
उद्योग, आचार और नमकीन बनाने का उद्योग पैसे कमाने के लिए एक आसान और
उपियोगी विकल्प है। तैयार किया हुआ माल शहर के व्यापारियों और आस पड़ौस के परिवारों
में बैच कर पैसा कमाया जा सकता है।
·
मोमबती,
दिये की बाट, अगरबत्ती मेकिंग, आर्टिफ़िश्यल गहेने बना ने
का काम और बिंदी, तथा की-चैन बना ने का काम भी घर से शुरू किया जा सकता है।
·
कपड़े
सिने का काम, मसाले पिसवा कर छोटे छोटे पैकीट बना कर सेल करने
का काम, शादी ब्याह के मौकों पर खाना और नाश्ता बना कर सप्लाय करने का
काम कर के भी आमदनी की जा सकती है।
·
बच्चों
को ट्यूशन पढ़ाने का काम कर के या, इंटरनेट पर ब्लॉग बना कर लिखने का काम कर के भी
पैसे कमा सकते हैं।
·
थैले
और थैलीयां सिने और बेचने का काम घर से शुरू किया जा सकता है। लोगों के घर की सफाई
करवा कर पैसे कमाने का काम, चौकलेट और पिपरमेंट बनाने का काम,
प्रॉपटी खरीदवाने और बिकवाने का काम भी कर के पैसे कमाए जा सकते हैं।
·
पुराने
सामान को सस्ते दामों में खरीद कर बाज़ार में मुनाफे पर बैचने का काम,
आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार से लोगों को जागृत करने का काम,
और ऐसे अनगिनत काम हैं, जिनहे शुरू कर के आय प्राप्त की जा सकती है। गृह
उद्योग की यह खासियत है की उसमे सरकार की और से टैक्स की भी राहत होती है और ऐसे
उद्योग कम या बिना पैसों के शुरू किए जा सकते हैं।
·
गृह
उद्योग से देश की इकोनोमी भी स्ट्रॉंग बनती है। और पूरा दिन काम काज में दौड़ धाम
रहने की वजह से शरीर भी स्वस्थ रहता है। बैठे बैठे मोबाइल और टीव के सामने समय
गवाने से जो बीमारियाँ लागू हो सकती हैं उसका खतरा भी कम हो जाता है। खुद की कमाई
आत्म विश्वास पैदा करती है, इस लिए अगर बे वजह समय नष्ट करने की वजाय पैसे
कमाने की और ध्यान लगाया जाए तो घर में मान भी बढ़ता है। और व्यक्ति खुद को आर्थिक
स्वरूप से सुरक्षित महेसूस करता है।
घर के कमाऊ व्यक्ति का
हाथ बढ़ाएं
परिवार के हर एक सदस्य को घर के कमाने वाले मुखिया
का हाथ बटाना चाहिए, ताकी वह काम के बोज की मार से टूट ना जाए। कभी कभी
छोटी सी मदद बड़ा आराम पहुचा देती है। और वैसे भी सुख दुख में एक दूजे की मदद करना
येही तो परिवार का अर्थ है। एक उंगली कमज़ोर होती है पर जब वह मुट्ठी का भाग बन
जाती है तो पांचों उँगलियाँ मजबूत मुट्ठी बन जाती हैं। इसी लिए तो कहा जाता है की
“जहां संप वहा जंप” ।
इतना ज़रूर करें
समय नष्ट करना रोकें
आज के समय में हमारे देश की अधिकतम महिलाओं का समय
टेलिविजन पर ऐसे सीरियल देखने में बीत जाता है, जिसमे सिरियल के नायक और
नायिका कपड़ों की तरह बदलते रहतें है, और सेरियल्स की कहानी बे वजह चिंगम की तरह खिचतीं
रहती है। इन दूषणों से ध्यान हटा कर अगर दो पैसे कमाने की और ध्यान लगाया जाए तो
परिवार के कमाऊ मुखिया का बोज कम किया जा सकता है। और आय के विकल्प भी बढ़ाए जा
सकते हैं।
वर्तमान पत्र, मेगेज़ीन, और बुक्स पढ़ने की आदत डालें
कई बार ऐसा होता है की हम में,
कुशलता होते हुए भी सही रास्ता नहीं मिल पाता है, लक्ष्य तो निर्धारित हो
जाता है, परंतु शुरुआत कहाँ से करें यह समज नहीं आ पाता है। ऐसी अवस्था
में राह खोजने के लिए वर्तमान पत्र, मेगेज़ीन और प्रेरणादायी किताबें हमे सही
मार्गदर्शन दिला सकते हैं। इन सभी माध्यमों में कईं सफल लोगों की बायोग्राफ़ि /
जीवनी छपती रहती हैं और हर एक क्षेत्र में काम शुरू करने के लिए मार्गदर्शन देते
हुए लेख भी छपते रहेते हैं। जिनसे काफी कुछ जानकारी और सीख मिलती है। जिससे असफल
होने और गलतिया करने के अवकाश काफी घट जाते हैं।
बांटने की आदत डालें
अगर ईश्वर ने किसी व्यक्ति की धन दौलत,
बुद्धि, ज्ञान, और प्रतिष्ठा का धनी बनाया है,
तो उस व्यक्ति का यह फर्ज़ है की वह अन्य लोगों में वह सब थोड़ा थोड़ा बांटे। लोभी
व्यक्ति कभी भी अपनी एकत्रित की हुई संपत्ति को भोग नहीं पाता है। वह सिर्फ उसका
पहेरेदार बन कर ही जीता है। इस लिए भगवान ने जो भी अच्छे गुण प्रदान किए हैं,
उसका वितरण और प्रचार करने से अंतर को खुसी मिलती है,
प्रतिष्ठा और लोकप्रियता बढ़ती है, लोगों को भी फाइदा पहुंचता है। और परमात्मा भी खुश
होते हैं।
हर मुद्दे पर निष्पक्ष
हो कर न्याय करने की आदत डालें
जब भी कभी किसी तरह की बहस होती है,
तो अधिकतम व्यक्ति यह जानते हुए की वह खुद गलत हैं, अपनी भूल स्वीकारने में
संकोच करते हैं। और प्रतिव्यक्ति को ही दोषी ठहेराने की चेष्ठा करते रहेतें हैं। यह
एक गलत आदत है। हर एक व्यक्ति को खुदके गलत होने पर अपनी भूल स्वीकार करने की आदत डालनी
चाहिए। ऐसा करने से उसका मान बढ़ जाता है, और घर्षण भी समाप्त हो जाता है।
सभ्य व्यक्ति बनें और अपना व्यक्तित्व निखारें
लोगों के बीछ व्यक्ति का बात चीत करने का ढंग,
उसका पहेनवा, परिवार जनों से व्यवहार करने का तरीका और खाने
पीने का ढंग, उस व्यक्ति के बारे में काफी कुछ कह जाता है। इस
लिए हर एक इन्सान को अपना आचरण सही रखना परम आवश्यक है। अच्छी पेर्सनालिटी (व्यक्तितिव)
वाले व्यक्ति से कोई दूर व्यवहार नहीं करता। नम्रता से सवाल पूछने वाले व्यक्ति को
सब जवाब देना पसंद करते हैं, और उसे कोई अनसुना नहीं करता है।
स्वभाव और वाणी मधुर
रखने से कई फायदे
व्यक्ति को हमेशा शब्द तौल तौल कर ही बोलने चाहियेँ।
किसी ज्ञानी व्यक्ति की बात नहीं काटनी चाहिए। क्रोध आने पर भी अपशब्द नहीं बोलने
चाहिए। समस्या का समाधान बातचीत से ही, लाभदायी होता है। उग्र वातावरण में कुछ देर के लिए
मौन हो जाना, शांती स्थापीत करने का एक उत्तम उपाय है। क्रोध
में बोले हुए शब्द उस वाण की तरह होते हैं जिनहे एक बार कमान से छोड़ने के बाद
वापिस नहीं मौड़ा जा सकता है। मीठी बोली सब के कानों को सुहाती है,
जिसके कारण सारे संकल्प सुगमता से सिद्ध हो जाते हैं। इस लिए कपट भाव से नहीं पर
अंतर शुद्धि से स्वभाव और वाणी को मधुर बनाने का यत्न करना चाहिए।
समस्या से भयभीत होने की
वजाय उसकी जड़ पकड़ें और बुद्धि चातुर्य से उसका समाधान ढूँढे
हर एक व्यक्ति कभी ना कभी ऐसी स्थिति में अवश्य फस
जाता है, जहां पर वह भयभीत हो जाता है, और रास्ता नहीं मिलता।
समस्या किसी भी प्रकार की हो उसमे फसने वाले व्यक्ति को अपना आपा नहीं गुमना
चाहिए। समस्या के उत्पन्न होने की वजह ढूंढ कर उसके निवारण के विषय में सोचने से
ही व्यक्ति, उस समस्या से निजात पा सकता है। किसी भी जटिल समस्या
को छोटे छोटे टुकड़ों में बाँट देने से उसकी तीव्रता काम हो जाती है,
और उसे हल करने का मार्ग मिल जाता है। जब भी कोई विपदा आए तो अकेले अकेले नहीं
घुटना चाहिए, बल्कि चार लोगों से अपनी व्यथा सुनानी चाहिए,
और उस समस्या से निकलने के लिए औरों से सहायता लेनी चाहिए।
शिक्षक ना बने
विद्यार्थी बने
हर विषय में रोज़ बरोज़ नयी नयी तकनीक विकसित होती
रहती है, अगर कोई व्यक्ति ऐसा समजे की उसे किसी सब पता है,
तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल साबित होगी। ज्ञानी होने का दंभ रखने वाले व्यक्ति को कोई
सीखाना नहीं पसंद करता है। इस लिए हर व्यक्ति को नम्र भाव से सीखते रहेने की आदत
डालनी चाहिए।
अगमचैती रखें और भविष्य
में आने वाले संकट से बचें
आज के समय में कई तरह की विपदाओं से इन्सान जुज़ रहा
है। पानी की समस्या, वातावरण प्रदूषण, बैरोजगारी,
कुपौषण, कई तरह की बीमारीयों की महामारी, और कई अन्य तकलीफ़ें भी
है। इन परेशानियों का एलाज ना करने पर, ऐसी परेशानियाँ दिन पर दिन बढ्ने ही वाली हैं। इस
लिए हर एक व्यक्ति को आगे आ कर भविष्य में रौद्र रूप धारण करने में सक्षम,
ऐसी परेशानियों का हल आज ही से ढूँढना शुरू करना चाहिए,
और निवारण के लिए उपयुक्त कदम उठाने चाहिए। ताकी आनें वाली नसल आज उपलब्ध सुविधाओं
से वंचित ना रह जाएँ।
अन्य व्यक्तियों और पशु
पक्षीयों पर दया भाव और करुणा रखें
हर एक इन्सान को दूसरे इन्सान की तकलीफ़ें और
समस्याए समाजनी चाहिए, और उन्हे दूर करने में यथाशक्ति योगदान देना चाइए तभी
हम खुद की इन्सान कहेलाने के अधिकारी होंगे। इन्सान तो फिर भी बोल कर अपनी तकलीफ
सुना सकता है, पर गूंगे जानवर और पशु पक्षी तो ये भी नहीं कर
पाते हैं। इस लिए घर के पास रहेने वाले पालतू जानवरों के लिए एक पानी का पात्र
अवश्य रखें। भोजन बनाने पर एक रोटी या मुट्ठि भर चावल गाय या श्वान को ज़रूर
खिलाएँ। पंछी और चीटीयों को आटा और दाना अवश्य डालें। इस तरह चार जीवों का पेट पाल
कर मानवता का धर्म निभाएँ।
भक्ति और प्रार्थना का
सही स्वरूप समजें
दिन में पचास बार ईश्वर के नाम की माला जप कर
दूसरों की बुराई करने से अच्छा है की, दिन में केवल एक बार प्रभु का स्मरण करें और सच्चे
मन से करें। ईश्वर के बनाए हुए इन्सानों और पशु पक्षियों की सेवा करना भी असल में
ईश्वर की ही सेवा करने के बराबर है। क्यूँ की परमात्मा तो कण कण में बसते हैं। और
यह एक सनातन सत्य है की, भय केवल पापी को ही भयभीत कर सकता है,
शुद्ध आत्मा को भय कष्ट दे नहीं सकता है, इस लिए हर एक इन्सान को सत्य,
आंहिसा, करुणा, और परोपकार के मार्ग पर चलना चाहिए। मानवता से बड़ा
कोई धर्म नहीं।
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