Wednesday, May 25, 2016

First World War And Second World War Details- प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध की डिटेल्स

हमारी दुनियाँ में कुल दो विश्व युद्ध हो चुके हैं। शक्ति प्रदर्शन, द्वेष, ईर्षा, और कूट नीति से आगे बढ्ने की स्पर्धा हमेशा बड़ी लड़ाईयों की वजह बनती आई है। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में अनगिनत बेकसूर लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे। और नजाने कितने लोग घायल और अपाहिच हो गए थे। 



कुछ घमंडी, सरफिरे और अत्याचारी, बैलगाम तानाशाहों और नेताओं की वजह से एक बार नहीं दो बार पूरे विश्व में मौत का त्रांडव मचा था। जब भी एक युद्ध होता है, तो उसमे मरने वाले लोगों से अधिक उन लोगों की दुर्गति होती है, जो घायल जीवित रह जाते हैं। अकाल, भुखमरा, चोरी, डकेती, अनाचार, और गंभीर बीमारियों के दुष्प्रभाव युद्ध के बाद अपना फन फैलते हैं। और ऐसा दोनों विश्व युद्ध के बाद युद्ध ग्रस्त जगहों पर हुआ भी था।    


प्रथम विश्व युद्ध - First World War
प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से ले कर 11 नवंबर, 1918 तक चला था। यह खौफनाक लड़ाई आफ्रिका, यूरोप, और मध्य पूर्व प्रशान्त द्वीप समूह तथा चीन के कुछ भाग में लड़ी गयी थीं। प्रथम विश्व युद्ध जल, थल और वायु तीनों क्षेत्रों में लड़ा गया था। इस महा युद्ध में कुल 37 देशों ने भाग लिया था। 
इतिहासकारों के लिखित आंकड़ों की मानें तो गठबंधन सेना की और से लड़ने वाले कुल सैनिकों में से 55,25,000 से अधिक सैनिक प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए थे। और 1,28,31,500 सैनिक घायल हुए थे। और 41,21,000 सैनिक लापता हुए थे। दूसरी और सहभागी केन्द्रीय देशों (central power) की और से लड़ने वाले कुल सैनिकों मे से करीब 43,86,000 सैनिक मारे गए थे। 83,88,000 सैनिक घायल हुए थे। और 36,29,000 सैनिक लापता हो गए थे।
सहभागी गठबंधन देश (मित्र राष्ट्र) की और से कुल मिला कर 22,47,7,500 सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था। और सहभागी केन्द्रीय देश (super power) सेना की और से कुल मिला कर 16,40,0300 सैनिकों ने हिस्सा लिया था।


प्रथम विश्व युद्ध में सहभागी गठबंधन देश

·         अमेरिका
·         ब्रिटेन
·         रूस
·         इटली
·         फ्रांस
·         जापान


प्रथम विश्व युद्ध में सहभागी केन्द्रीय देशों के नाम (central power)

·         ऑस्ट्रिया-हंगेरी
·         जर्मनी
·         ओटोमन
·         बाल्गेरिया
·         अन्य देश


प्रथम विश्व युद्ध की मुख्य घटनाए

·         ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उतराधिकारी आरचरड्यूक फर्ड़िनांड और उनकी पत्नी का क़तल इस महा युद्ध का तत्काल कारण बना था।
·         सहभागी गठबंधन देश की सेनाओं और केंद्र शक्ति देश (central power) की सेनाओं की और से लड़ने वाले कुल मिला कर एक करोड़ से भी ज़्यादा लोग मौत के घाट उतर गए।
·         प्रथम विश्व युद्ध करीबन 52 माह तक चला था। (वर्ष 1914 से वर्ष 1918)।
·         प्रथम विश्व युद्ध में जीतने लोगों ने अपनी जान गवाई थी, उनसे दुगने लोग घायल हुए थे।
·         युद्ध खतम होने के बाद कुपोषण, बीमारी, महामारी, भुखमरा, अकाल और लूटपाट का दौर चला था।


प्रथम विश्व युद्ध और भारत

भारत की और से इस खूनी संग्राम में कुल 8,00,000 सिपाही लड़े थे। भारत के वीर सिपाही विश्व के अलग अलग कोनों में युद्ध के लिए भेजे गए थे। इस विनाशक युद्ध में भारत के कुल 47,746 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। और करीब 65,000 सैनिक ज़ख्मी हुए थे। युद्ध आरंभ होने के पूर्व जर्मनी ने भारत को अपनी और मिलाने के लिए एडी चोटी का ज़ोर लगाया था। पर भारतीय काँग्रेस के नेताओने उस वक्त ब्रिटेन का साथ देना सही समजा। और हमारी बदकिस्मती की हमारे देश के राजे रजवाड़ों ने युद्ध लड़ने के लिए ब्रिटेन को दिल खोल कर धन और असला दिया। प्रथम विश्व युद्ध के खतम होते होते भारत की आर्थिक स्थिति और अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी। 
भारतीय क्रांतिकारी विचार धारा रखने वाले तपके का यह मानना था की विश्व युद्ध में ब्रिटेन को सहायता ना की जाए, ओर पुर ज़ोर विद्रोह किया जाए तो ज़ालिम अंग्रेज़ो से आज़ादी प्राप्त की जा सकती है। लेकिन कोंग्रेसी नेताओं की सोच पता नहीं किस दिशा में अग्रसर थी। कोंग्रेसी नेताओं की शायद ऐसी शेखचिली सोच थी की, युद्ध में ब्रिटेन का साथ देने से वह प्रसन्न हो कर भारत को आजाद कर देंगे। इसी मूर्खता के परिणाम स्वरूप जो आज़ादी भारत को प्रथम विश्व युद्ध के दौर में मिल सकती थी वह 30 से 32 साल बाद वर्ष 1947 में जा कर मिली।

प्रथम विश्व युद्ध का परिणाम
करीब चार साल तक चली इस खूनी जंग में सहभागी गठबंधन देश की सेना यानि की अमेरिका, ब्रिटन, रूस, इटली और फ्रांस की संगठित गठबंधन सेना की विजय हुई थी। इस युद्ध के बाद यूरोप तथा मध्य पूर्व क्षेत्र में नए देशों की स्थापना हुई थी। और रूसी, जर्मनी, ऑस्ट्रीया-हंगेरी और ओट्टोमीन साम्राज्य का विनाश हुआ था।

 


द्वितीय विश्व युद्ध - Second World War

·      द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 से ले कर 2 सितंबर 1945 तक चला था। इस महा युद्ध में कुल 70 देशों ने भाग लिया था। इस युद्ध में सेनाएँ दो हिस्सों में विभाजित थीं। एक तरफ मित्र राष्ट्र सेना (allied forces)और दूसरी और धुरी राष्ट्र सेना (axis forces)। इस महा युद्ध में कुल मिला कर विश्व के 10,000,0000 (दस करोड़) सैनिकों ने हिस्सा लिया था। इस भयंकर युद्ध में अंदाजन 5 से 7 करोड़ लोगों को जानें गईं थी। काई हिस्टोरीयन तो दूसरे विश्व युद्ध में जान गवाने वाले कुल लोगों की संख्या 8 करोड़ के ऊपर भी बताते हैं। दूसरा विश्व युद्ध यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, साउथ ईस्ट एशिया, चाइना, मिडल ईस्ट, और मेडिटेरियन नोर्थन अफ्रीका में लड़ा गया था।   
 


द्वितीय विश्व युद्ध की सेनाओं के जनरल और कमांडर्स 

मित्र राष्ट्र सेना – जोसफ स्टेलिन, फ्रेंकलिन डि॰ रूज़ल्वेल्ट, विंस्टन चर्चिल, चियांग काई शेक, चार्ल्स डि गौले।
धुरी राष्ट्र सेना (axis) – एडोल्फ हिटलर, हिरोहिटों, बेनिटो मुसोलिन। 
      


द्वितीय विश्व युद्ध की घटनाए संक्षिप्त में  

·         दूसरा विश्व युद्ध करीब छे सालों तक लड़ा गया था।
·         जर्मनी के द्वारा पोलैंड पर आक्रमण, द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ जाने का तत्काल कारण बना था।
·         म्यूनिख पैकट सितंबर 1938 में मुक्कमल हुआ था।
·         वर्साय की संधि का उलंघन जर्मनी के द्वारा किया गया। इस संधि की आरोपित संधि भी कहा जाता था। 
·         वर्ष 1636 की की शुरुआत में स्पेन राष्ट्र में गृह युद्ध आरंभ हो गया।
·         इटली और जर्मनी के द्वारा स्पेन पर धाबा बोला गया। स्पेन उनका सबसे पहेला शिकार बना।
·         सोवियत संघ पर आक्रमण करने की योजना को बारबोसा योजना का नाम दिया गया था।
·         महासत्ता अमेरिका दूसरे विश्वयुद्ध में 8 सितंबर 1941 के दिन कूद पड़ा था।
·         दूसरे विश्व युद्ध के समय पर अमरीका के राष्ट्रपति फैंक्लीन डि रूज़वेल्ई थे।
·         द्वितीय विश्व युद्ध के समय पर इंग्लैंड के प्रधान मंत्री पद पर विंन्स्टन चर्चिल थे।
·         दूसरे महा युद्ध में जर्मन सेना की हार का श्रेय रशिया को जाता है।
·         7 दिसंबर 1941 के दिन जापान ने अमरीका के पर्ल हार्बर बेस पर बम बारी की।
·         दूसरे विश्वयुद्ध एटमबॉम्ब का इस्त्माल भी किया गया था। जिसके परिणाम खतरनाक आए थे। 
·         जापान के हिरोशिमा और नागासाकी विस्तार पर अमेरिका ने 6 अगस्ट 1945 को एटम बॉम्ब गिराए थे।
·         दूसरे महा युद्ध में मित्र राष्ट्र सेना द्वारा हराया जाने वाला आखरी देश जापान था।
·         विश्व युद्ध के अंत के साथ ही तीसरी जर्मन रेंच का विनाश हुआ। 
·         विश्व युद्ध के इस खूनी खेल में अमरीका से लड़ने वाले सैनिक 42,000,000, जर्मन सैनिक 9,000,000, चाइना के सिपाही 4,000,000, और जापान के सिपाही 3,000,000 मौत के घाट उतार गए।
·         दूसरे विश्व युद्ध के बाद 50,00,000 सिपाही युद्ध बंदी बनाए गए थे।
·         दूसरे विश्व युद्ध की खूनी जंग में अंदाजन 4 करोड़ से 5.5 करोड़ सिविलियन लोग मारे गए थे। और करीब 2 करोड़ लोग लड़ाई के कारण उतप्पन हुई शारीरिक बीमारियों से मौत के घाट उतर गए थे।
·         एडोल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल। 1945 के दिन, बर्लिन शहर में अपने एक गुप्त तैखाने में, खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। और उनकी पत्नी ईवा ने साइनाइड जहर खा कर खुदखुसी कर ली। 
·         दूसरे विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र सेना (allied forces) विजयी हुई थीं।
·         युद्ध के बाद अमेरिका और रशिया सुपर पावर बन गए। और यूनाइटेड नेशन का गठन हुआ।
·         दूसरे विश्व युद्ध के बाद ही सयुक्त राष्ट्र संघ की रचना हुई थी। और दुनियाँ के सारे देश आगे किस तरह एक दूजे के साथ ताल-मेल बैठा कर प्रगति के मार्ग पर चलेंगे इस सौच के साथ सयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया गया  था।
·         दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व के कई देशों की आर्थिक हालत चरमरा गयी थी। और विश्व के कई देशों में युद्ध के दुषप्रभावों से भयंकर महामारी फ़ेल गयी थी।                      


द्वितीय विश्व युद्ध और भारत

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी भारत अंग्रेजों का गुलाम था। और भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध घोसणा कर दी थी। दूसरे विश्व युद्ध में भारती की और से 20 लाख से भी अधिक सैनिक भेजे गए थे। हमारे देश के सैनिक अंग्रेजों और उनके मित्र राष्ट्र सेना की तरफ से लड़े थे। इस विनाशक युद्ध में भारत के सिपाही दुनियाँ के कोने कोने में लड़ाई के लिए भेजे गए थे। पहले विश्व युद्ध की ही तरह दूसरे विश्व युद्ध में भी हमारी देसी रियासतों ने अंग्रेज़ सेना को बड़ी मात्र में धन सहायता की थी। 


विशेष-

हमारी दुनियाँ दो बड़े भीषण विश्व युद्ध जेलने के बाद आज फिर से प्रगति और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर है। पर फिर भी विश्व के काई क्षेत्रों में सालों पहले हुए, विश्व युद्धों में पहुंचे नुकसान के नासूर-निशान देखे जा सकते हैं। पिछले समय के मुक़ाबले आज विश्व के तमाम देश काई घातक हथियारों से लेस हैं। जैसे की एटम बॉम्ब, जैविक हथियार, वगेरा... दुनियाँ मे समजदार देश विश्वशांति की राह पर हैं,

लेकिन आज भी कई ऐसे अलगाव वादी, क्रूर और सनकी राष्ट्र हैं, जो अपनी शक्ति के मध में अंध हो कर तीसरे विश्व युद्ध की चिंगारी सुलगा सकते हैं। धर्म और पंथ के नाम पर, एक दूसरे को ताकत दिखाने के नाम पर और कुदरती संसाधनों को दूसरे देश के पास से, कुटिल नीति से हड़पने के इरादे से तीसरे विश्व युद्ध होने की भीती बनी रहती है। आशा है विश्व की शांति बनी रहेगी। और सर्व मानव जाती कल्याण के मार्ग को चुनेगी।
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