किसी भी गुनेगार को पकड़ने के लिए सबूत के तौर पर
उँगलियों के निशान हासिल किए जाते हैं। यह प्रक्रिया बड़ी आम है। हमने फिल्मों में और
हकीकत में यह बात कई बार सुनी होती है। यह कार्य संपन्न करने के लिए फोरेंसिक डिपार्टमेंट
होते हैं। जो छाप लगे चीजों पर कुछ खास प्रक्रिया कर के फिंगर प्रिंट हासिल कर लेते
हैं। आइये जानते हैं यह काम आखिर होता कैसे है।
हम इंसान की उंगली यों पर और अँगूठों पर सामने
की और बाल नहीं उगते हैं। वहाँ सिर्फ पसीना आता है। इसी लिए इस सतह को फ्रिक्षन साइड
भी कहा जाता है। इसी पसीने की वजह से हम जिस भी चीज़ को छूते हैं वहाँ पर हमारी उँगलियों
की छाप छूट जाती है। इस पसीने में थोड़े तैली पदार्थ भी होते हैं। इस निशान को देखने
के लिए खास प्रकार के पाउडर का उपयोग किया जाता है।
और यह पाउडर टायटेन्यम डायोक्साइड
नाम से भी जाना जाता है। और इस के साथ ज़िंक सलफाइड तथा बेरियम सल्फेट भी उपयोग में
लिया जाता है। वैसे तो इस कार्य के लिए कई किसम के पाउडर उपयोग हो सकते हैं। पर इनसानी
स्वास्थ्य को ध्यान मे रखते हुए कुछ खास प्रकार के पाउडर उपयोग करने की ही अनुमति होती
है।
किसी भी चीज़ पर जब उंगली के निशान लगे हों, और उन्हे हासिल करना होता है तब इस खास पाउडर को उस पर छिड़क दिया जाता है
और थोड़ी देर बाद जब वह पसीना सोख लेता है तब बाकी के अतिरिक्त पाउडर को फूँक मार कर
अलग हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को अंजाम देने से सटीक और साफ फिंगर प्रिंट उभर
आते हैं। यह वास्तव में एक गज़ब की खोज है जिसका कारण कानून को बहुत मदद मिलती है।
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