भारत में
कबड्डी का खेल काफी लोक-प्रिय है। वास्तव में 'कबड्डी'
एक अत्यंत सुन्दर, सस्ता और स्वास्थ्यप्रद खेल
होता है। अन्य खेलों यथा क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और वॉलीवाल आदि के लिये विशेष रूप से तैयार मैदान तथा संसाधनों की
आवश्यकता होती है जबकि कबड्डी के लिए किसी विशेष स्थान की जरूरत नहीं पड़ती। यह
कंही भी और कभी भी खेली जा सकती है। कबड्डी खेलने के लिए सिर्फ एक सामान्य समथल जगह
की आवश्यकता होती है।
प्रति एक दल में कबड्डी में 7-7 खिलाड़ी होते हैं। कबड्डी खेलने के स्थान के बीचोंबीच एक लाइन (लकीर)होती है जिसे पाला कहते हैं। खेल शुरू होने पर किसी एक दल का एक खिलाड़ी कबड्डी-कबड्डी बोलता हुआ दूसरे दल की ओर जाता है। वह यह कोशिश करता है की बिना साँस टूटे दूसरे खिलाड़ी को छूकर वापस अपने पाले में (दल में)आ जाये। यदि दूसरी टीम का खिलाड़ी उसको पकड़ लेता है और वह खिलाड़ी अपने पाले को नहीं छू पाता तो वह खिलाड़ी आउट माना जाता है ।
हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों मेँ कबड्डी खेल का अधिक चलन है। यह खेल ताकत और बुद्धिमत्ता का मिला-जुला संगम होता है। वर्तमान समय में कबड्डी लीग प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिस के कारण इस खेल को देश-परदेश में काफी लोकप्रियता मिल रही है।
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ReplyDeletethanks whoever posted this
rdgs
Mahi