एक
गाँव में मोहन नाम का प्रामाणिक इन्सान रहता था। वह एक किराने की दुकान में काम करता
था। प्रति दिन मोहन अपना काम बड़ी लगन और ईमानदारी से करता था। उसके दुकान के मालिक
भी मोहन पर काफी विश्वास करते थे।
कुछ
दिनों बाद मोहन की शादी हो जाती है। दिन पर दिन घर के घर खर्चे बढ्ने लगते हैं। सीमित
आय होने के कारण मोहन ओवरटाइम में एक्सट्रा काम करने लगता है, फिर भी पैसे कम पड़ते रहते हैं और पैसों की तंगी के कारण रोज़ उसका अपनी बीवी
के साथ जगडा होने लगता है।
प्रामाणिक
मोहन एक दिन अपनी समस्याओं से हार जाता है और सिर्फ एक बार आसानी से चोरी कर
के पैसे हासिल कर के अपनी समस्या दूर करने की सोच लेता है।
अगले
ही दिन मोहन अपने सेठजी की दुकान के गल्ले से 1000 रुपये चुरा लेता है। मोहन की पत्नी
अचानक आए पैसों की हकीकत जानना ज़रूरी नहीं समझती है और पैसे देख कर खुश हो जाती है।
एक
बार चोरी के पैसे की लत लग जाने पर मोहन बार बार चोरी करने लगता है। वह खुद को इस गलत
काम से रोक नहीं पाता है। इस तरह यह सिलसिला एकाद साल तक चलता रहता है, मोहन नैतिकता के रास्ते से हट कर इस बैमानी के रास्ते पर आगे और आगे निकल
पड़ता है। अब मोहन सिर्फ दुकान से ही नहीं पर जहां मौका मिले वहाँ से कुछ ना कुछ चुरा
कर अपनी ज़रूरतें पूरी करने लगता है।
एक
दिन सेठजी मोहन को दुकान के गल्ले से पैसे निकालते हुए रंगे हाथों पकड़ लेते हैं, और उसी वक्त मोहन को काम से निकाल देते हैं। अब मोहन को दूसरी जगह ईमानदारी
का काम करने में कोई रुचि रहती नहीं है। वह चोरी चकारी के काम में ही अपना पूरा ध्यान
केन्द्रित करता है और जहां-तहां छोटी मोटी चोरियाँ करते रहता है।
घर
के आस पास ही चोरियाँ होती रहने के कारण और मोहन के रेगुलर काम पर ना जाने से पड़ौसियों
को उस पर शक हो जाता है। वह लोग तुरंत पुलिस में इस बात की खबर दे देते हैं। उसी दिन
से मोहन की गतिविधियों पर पुलिस नज़र रखना शुरू कर देती हैं।
और
कुछ ही दिनों में किसी आसपास के घर में चोरी करते हुए पुलिस मोहन को रंगे-हाथों पकड़
लेती है।
इस
तरह मोहन को जैल की सज़ा हो जाती है और लोगों के चुराये हुए पैसों का हर्जाना भरने में
और मुकदमा लड़ने में उसका घर-बार बिक जाता है।
कहानी
से प्राप्त वाली सीख
मोहन
का इरादा तो एक ही बार चोरी करने का था पर उसकी बुरी आदत नें उसे रुकने नहीं दिया...
इस लिए यह बात सिखाती है की,,, जो काम गलत है उसमें
बड़ा लालच छुपा होता है, चाहने पर भी हम रुक नहीं सकते।
तो बहेतर है की गलत काम की शुरुआत ही ना की जाए।
मोहन
की बीवी जानती थी की उसके पति की आय सीमित है, फिर भी अचानक
आए पैसों के बारे मे मोहन से पूछना उसने ज़रूरी नहीं समझा।... यहाँ ये सीख मिलती है
की,,, घर में किसी भी सदस्य के द्वारा अचानक ढेर सारा पैसा
आ रहा है तो उस का माध्यम जानना चाहिए और अगर पैसा गलत रास्ते से आ रहा है तो उसका
विरोध भी करना चाहिए। चूँकि गलत तरीके से कमाये पैसों के कारण कहानी के पात्र मोहन
का घर बार बिक सकता है तो हकीकत में किसी का भी बिक सकता है। - समाप्त
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