Tuesday, July 19, 2016

Real Horror Experience of Fishing Commission agent - उपद्रवी चुड़ैल का आतंक

मेरा नाम अजय जुंगी है। मै एक हमारा काम मच्छी बैचने का है। फिशर मैन से मच्छी ले कर हम छोटी बड़ी companies को supply करते हैं। पाला बाज़ार में हमारा छोटा सा गोदाम भी है। मै और मेरे पापा वहीं बैठते हैं। पूरे बाज़ार में यह बात फ़ैली हुई थी की हमारे गोदाम में एक चुड़ैल का वास है। मुझे यह अफवाए सुन कर बड़ा गुस्सा आता था। मुझे लगता था की शायद बाज़ार वाले हमारा अच्छा business देख कर हमारे गोदाम को बदनाम कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं था। एक दिन मुझे भी उस भयानक शक्ति नें चपेट में ले ही लिया। आज मै वही किस्सा यहा शेयर करना चाहता हूँ।   



उस दिन मेरे पापा नें मुझे पांच बजे तक आ जाने को बोला था। पर में छे बजे गोदाम पर cricket खेल कर पहुंचा। पापा नें कीचड़ वाला जूता निकाल कर मुझे ऐसी जगह दे मारा की मै यहाँ बताना नहीं चाहता। पापा गुस्से में बड़बड़ाते हुए कुछ देर में बाज़ार के लिए निकल गए। अब में गोदाम पर अकेला था। और बैंच पर बैठ कर अपनें फोन पर whatsapp चला रहा था। तभी अचानक मच्छी का एक कार्टन धड़ाम से नीचे गिरा। मैंने जटपट कार्टन में मच्छी और बर्फ भर डाली ताकि माल खराब ना हो जाए।



अभी मैंने कार्टन भर के ऊपर रखा ही था की, वही कार्टन फिर से गिरा। मै तो हैरत मे पड़ गया एक 20 किलो का मच्छी से भरा हुआ, 1.5 * 3 फीट का स्कवेर डाइमनसन वाला प्लास्टिक कार्टन बिना वजह कैसे गिर सकता है। मुझे थोड़ा डर लगा और लोगों की बातें भी याद आने लगी। फिर भी मैंने हिम्मत कर के सब ठीक ठाक कर लिया। और फिर से अपनी जगह बैठ गया। करीब पांच मिनट हुए तो मेरी नज़र फिर से उस कार्टन की और गयी।


मैंने देखा की वह कार्टन हवा में जुल रहा था और पायल के खनकनें की आवाज़ भी आ रही थी। और कार्टन पीछे काले गहरे रंग की परछाई थी। यह सब देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए। मैंने भी अपनें danger बाप की तरह अपना कीचड़ वाला जूता उतारा और उस परछाई की और फैंका, मुझे लगा शायद मेरी इस बहदुरी भरी हरकत से वह जो भी है उसे मुझसे डर लग जाएगा और वह हमारा गोदाम छोड़ कर भाग जाएगा। मुझे समज नहीं आ रहा था की ऐसा सब करने के लिए उस समय मुझमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी थी।  


मेरे जूते के फेंकते ही उस परछाई नें कार्टन नीचे रख दिया। अब मुझे थोड़ा थोड़ा confidence आने लगा। और मै यह सोचने लगा की बहादुर लोगों से भूत प्रेत भी डरते हैं। मैंने सोचा क्यूँ ना इसे और थोड़ा हूल दूँ। मैंने फिर उसे ललकार ना शुरू किया। मैंने कहा की यह मेरे बाप की जगह है, अगली बार यहाँ कोई भी त्रांडव किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। ऐसा बोल कर मैन दूसरा जूता भी उस कार्टन की और दे मारा।


तभी अचानक मेरे कान पर 11 नंबर का एक और जूता पड़ा, वह जूता किसी चुड़ैल नें नहीं फैंका था। मेरे पापा दुकान पर फिर से लौट आए थे। मुझे मच्छी के कार्टन पर जूते फेंकते देख कर उन्हे खूब गुस्सा आया। ये हमारी रोज़ी रोटी है, यह वोह... ना जाने क्या क्या लैक्चर उन्होने दे डाला मुझे। अब मै उन्हे कैसे बताता की अभी क्या बला से पाला पड़ा था मेरा। रात को आठ बझे मै और पापा गोदाम बंद कर के घर जाने लगे। ताला मै लगा रहा था तो, मै नें सोचा की एक और बार थोड़ी सी धम्की दे दूँ, उस रहस्यमय परछाई को ताकि वह हमारे गौदाम से हमेशा के लिए भाग जाए।


पापा के बाहर जाते ही मै अंदर आया और फिर से उसे कहा.... की तू जो भी है आज रात तक यहाँ से निकल जाना वरना कल मै तेरी वह हालत करूंगा की तुझे यहाँ आने का पशतवा होगा। हिम्मत है तो सामनें आ कर बात कर यह क्या मच्छी के कार्टन गिरा गिरा कर बचकानी हरकतें करती है तू...?
तभी मेरे पापा फिर से गोदाम में घुस आए और मुझे बालों से पकड़ कर बाहर किया। मैंने जट पट ताला लगा दिया। और घर जाते जाते सोचनें लगा की मेरे गोदाम में रह रही भयानक शक्ति ज्यादा danger है की मेरे पूज्य पिताजी। इस बार घर जा कर मैंने पापा से सारी बात बोल दी। और यह भी बोला की मै उस काली परछाई को  हूल दे कर आया हूँ।


वैसे तो मेरे पापा मेरे साथ, मुह से कम हाथ से बात करना ज्यादा पसंद करते हैं, पर इस बार उन्होने मुझे अपनें पास बैठा कर समजाया की भूत, प्रेत, चुड़ैल और खविस इन सब आसुरी शक्तियों से मज़ाक नहीं करना चाहिए, और इन्हे ललकार कर उफसाना भी नहीं चाहिए। वह सारे तो खुद परेशान होते हैं, भटक रहे होते हैं, सज़ा भुगत रहे होते हैं, इस लिए इन से निजात पाने का रास्ता शांति से और समजदारी से निकालना चाहिए।


मेरे पिता की यह बात मेरी समझ में आ गयी, और फिर मैनें कभी भी वैसी हरकत नहीं की जैसी पहले की थी। आज भी कई बार हमारे गोदाम में विचित्र घटनाएँ होती रहती हैं पर मैंने उन्हे नज़रअंदाज़ करना सीख लिया है। और अपने पिता पर मुझे गर्व है, जिनहोने सही समय पर मुझे सही ज्ञान दे कर सही रास्ता बताया।  
               


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