विद्यावती विश्वविद्यालय के वर्षान्त समारोह से यह कहानी
शुरू होती है। सीनियर छात्रायेँ कॉलेज खत्म कर लेने की खुसी में मग्न हे।
ओडिटोरीयम में इतनी शांति है की सुई के गिरने की भी आवाज आ जाए। सब छात्र गण टकटकी
लगाए प्रिन्सिपल की और देख रहीं है। सभी के दिल में एक ही सवाल है की इस बार कॉलेज
की सर्व श्रेस्ठ विद्यार्थिनी का अवॉर्ड किसे प्राप्त होगा। तभी प्रिन्सिपल लिफाफा
खोल कर स्टूडेंट ऑफ द इयर की विजयता छात्रा का नाम घोषित करते हैं।
प्रिन्सिपल:
“इस वर्ष की सर्वश्रेस्ठ छात्रा का अवॉर्ड कुमारी- दीपिका शर्मा को दिया जाता है”
ओडिटोरीयम में लड़कियों की भीड़ में से दीपका हर्ष और
उल्लास के साथ उठ कर अपना अर्जित अवॉर्ड लेने आगे बढ़ती हैं। और सारी छात्राएँ
तालियों की गूंज के साथ दीपिका का अभिवादन करती हैं।
प्रिन्सिपल के हाथ से अवॉर्ड लेते ही अचानक दीपिका
को महसूस होता है, की प्रिन्सिपल अवॉर्ड की जगह हाथ
में “कटा हुआ खून से लथपत” दिल रख रहें हैं। दीपिका की चीख निकल आती है, और वह अवॉर्ड हाथ से फेंक देती है। इतनी काबिल और प्रवीण छात्रा की ऐसी
हरकत देख शिक्षक गण और छात्रा गण स्तब्ध हो जाते है।
कपिल शर्मा और प्रभा शर्मा अपनी बेटी की इस
अविस्वशनिय हरकत से शर्मिंदा हो कर, तुरंत अपनी लाड़ली
बेटी को घर ले जाते हैं। घर पहुचते ही दीपिका खुद को नोंचने लगती है। चिल्लाने
लगती है, और अपने माता पिता से बदसलूकी करने लगती है। खुद को
पटक पटक के घायल करने के बाद घर के आँगन में दौड़ कर दीपिका पूरा मोहल्ला इकट्ठा कर
लेती है।
सारे पड़ोसी और मोहल्ले वाले दीपिका को इस हालत का
कारण पूछने लगते हैं। दीपिका चिल्लाते रोते हुए सारा गलत इल्जाम अपने माता-पिता पर
लगा देती है। पड़ोसी तुरंत पुलिस बुलवा लेते हैं। और कपिल शर्मा और प्रभा शर्मा को
थाने ले जाते हैं। अपनी होनहार एक लौती संतान के इस अजीब बर्ताव से उनके माता-पिता
सदमे में आ जाते हैं।
कड़ी पूछ-ताछ के बाद पुलिस कपिल शर्मा और प्रभा
शर्मा को रिहा कर देते हैं और अपनी बेटी को किसी मनोचिकितशक के पास ले जाने की
सलाह भी देते हैं।
कपिल शर्मा और प्रभा शर्मा तुरंत मानसिक रोगी
विसेषज्ञ (expert) के पास दीपिका को ले जाते हैं। जहां
दीपिका को काउंसिलिंग दी जाती है। और स्ट्रैस दूर करने की दवाइयाँ दी जाती हैं।
दीपिका की हालत में धीरे धीरे सुधार आने लगता है। और तभी थोड़े दिनों में मौका देख
कर कपिल शर्मा और प्रभा शर्मा अपने खानदानी पंडित को बुला लेते हैं। और अच्छा लड़का
देख कर दीपिका की शादी करा देते हैं।
दीपिका जब अग्नि के फेरे ले रही होती है तब उसके
अंदर छुपी क्रोधी आत्मा भी सात फेरे ले लेती है। ओर प्रबल हो कर दीपिका के शादी
सुधा जीवन में त्रांडव मचाने लगती है। दीपिका के अंदर छुपी आत्मा अपना कहर ढाने
लगती हैं। पति के खाने में अशुद्ध वस्तुए डाल देना, सांस को
सीडियों से धक्का दे देना, देवर और ससुर पर छेड़ती का इल्ज़ाम
लगाना, और ससुराल के पड़ोसियों से जगड्ना। क्रोधी आत्मा यह सब
दुराचार दीपिका के माध्यम से करने लगी।
तंग आ कर दीपिका का पति अपनी पत्नी को घर से निकाल
देता है। माइके में दीपिका वापिस आती है, पर माँ-बाप भी अब
दीपिका की हरकतों से तंग आ गए, और ऐसा मान ने लगे के दीपिका
को कोई तकलीफ नहीं है, वह खुद ही ऐसा कर रही है। लाख हाथ पैर
जोड़ने पर भी दीपिका का तलाक हो जाता है। कोय इस बात को समाजने को तयार नहीं होता
है के दीपिका को क्या तकलीफ है। कपिल शर्मा और प्रभा शर्मा अपनी बेटी को घर में वापिस
जगह तो दे देते हैं पर दीपिका के लिए उनका प्यार मर चुका होता है।
एक दिन दीपिका पर वह क्रोधी आत्मा फिर हावी हो जाती
है। और दीपिका रसोई में काम कर रही अपनी बूढ़ी माँ पर गर्म पानी उड़ेल देती हैं, उसके बाद दीपिका दौड़ कर घर के बाहर आती है, और वहाँ
मोहल्ले में खेल रहे बच्चो को मारने पीटने लगती हैं। इस घटना से दीपिका के पिता
क्रोध में आ कर अपनी बेटी को घर से निकाल देते हैं।
अब दीपिका लावारिस बेसहारा रास्तो पर भटकने लगती
है। पढ़ी लिखी होने के बावजूद दीपिका को भीख मांग कर अपना पेट पालना पड़ता है। क्यूँ की पूरे शहर में बदनाम हो
जाने के बाद, किसी भी जगह काम मांगने या कहीं रहने जाने के
सारे दरवाजे बंद हो चुके होते हैं।
अंत में दीपिका दीपिका एक बिल्डिंग पर चड़ कर खुदखुसी
करने का फैसला करती हैं। ऊंचाई पर चड़ कर दीपिका छलांग लगाने ही वाली होती है की एक
हवा का जोंका दीपिका को जटके से बिल्डिंग की छत पर ऊपर ही गिराता है। और जटके से
उसके अंदर छुपी आत्मा शरीर से बाहर निकल कर सामने खड़ी हो जाती है और बोलती है....
आत्मा:
“बद जात, कायर इतनी जल्दी
हार गयी ? तू इतनी जल्दी नहीं मर सकती,
तुजे तो में तड़पा तड़पा कर मारूँगी।”
“तेरे दिये हुए हर एक ज़ख़म का बदला लूँगी। तीन जनम
से भटक रही हूँ, तब जा कर तुजसे बदला ले सकूँ, इतनी शक्ति मिली है मुजे। तुजे में ना तो जीने दूँगी और ना तो मरने
दूँगी।”
दीपिका:
दीपिका विकराल रूप वाली खून से लथपत आत्मा को देख बिलकुल नहीं डरती है, और फुट फुट कर रोने लगती है। और बोल उठती है की
“मुज
बेकसूर को बरबाद कर के तुम्हें क्या मिला? मेंने
क्या बिगड़ा है तुम्हारा?”
आत्मा:
अरी... नीच... तू बेकसूर केसे हुई? तेरी ही तो महेरबानी की वजह से में सालों से भटक रही हूँ।
में तो तुजे तीन जन्मों से नहीं भूली हूँ। पर तू
मुजे पहचान नहीं पाएगी। जा… तू हमारे उस गाँव में जा कर पूछ
किसी से, की क्या किया था तूने मेरे साथ...
राजस्थान के ‘भदौली’ गाँव जा। वहाँ पर 120 साल पहले हमने जनम लिया था। और तू कभी मेरी सहेली
हुआ करती थी। वहीं से तेरे पापों की जड़, और मेरी बरबादी की
कहानी पता चलेगी तुजे।
“जा... जाकर देख “आज भी उस गाँव
के टीले पर मेरी रूह चीखती हुई मिलेगी तुजे”
इतना कह कर आत्मा अदृश्य हो जाती है। और दीपिका
फौरन समज जाती है की उसे अपने पुनःजन्म वाले गाँव में जाना चाहिए। और पिछले जनम
में क्या हुआ था यह पता करना चाहिए। एक कॉलेज की पुरानी छात्रा मित्र से मिन्नते
कर के गिड़गिड़ा के दीपिका राजस्थान के “भदौली” गाँव जाने के पैसे उधार लेती है। और
फौरन वहाँ पहोंचती है।
दीपिका गाँव के
बुजुर्ग लोगो से और पुराने अखबारो से 100 – 120 साल पुरानी प्रचलित कहानी खोजने
लगती है। इसी सिलसिले में “भदौली” गाँव में पुराने शंकर भगवान के मंदिर के
पुजारी से दीपिका मिलती हैं। योग
के सहारे दिर्ध आयु जीवित पुजारी, 130 साल की आयु में जीवित
होते हैं। वह दीपिका को 100 साल
पुरानी घटना की कहानी बताते हैं।
कहानी
पुजारी: गाँव
में काव्या और रमा नाम की दो सहेलीयां हुआ करती थी। काव्य खूब सुंदर थी। और रमा
साधारण दिखने वाली गुणी लड़की थी। दोनों सहेलियों में खूब स्नेह था। दोनों साथ साथ
खाती, पीती, घूमतीं फिरतीं और दोनों एक साथ साथ बड़ी हुई।
काव्या को अपनी सुंदरता पर नाज़ था। और रमा अपने नम्र स्वभाव से सब का दिल जीत लेती
थी।
एक दिन काव्या को लड़के वाले देखने आए। काव्या की
सुंदरता ने सब का मन मोह लिया। सगाई की तारीख निकल आती है। और शादी की तारीख भी तै
हो गयी। पर अचानक लड़के वालों ने सगाई तोड़ दी। और कहा की हम काव्या को अपने घर की
बहू नहीं बना सकेंगे।
लड़के वालों का कहना था की हमारे बेटे को काव्या
नहीं उसकी सहेली रमा पसंद आई है। हमारा बेटा रूपवान नहीं गुणवान पत्नी चाहता है।
यह सुन कर दोनों खानदान काफी जगड़ पड़ते हैं। और रिश्ता जुडने से पहले ही टूट जाता
है।
काव्या के दिल में रमा के लिए जहर भर जाता है। और
काव्या यह मान लेती है की जब लड़का देखने आया तब रमा ने ही डोरे डाले होंगे इसी वजह
से लड़के ने उसे छोड़ कर रमा को चुना। काव्या अपने अपमान का बदला लेने की ठान लेती
है। और रमा को धोके से खाने में जहर दे देती है। रमा जहर से मरती तो नहीं है, पर जिंदगी भर के लिए अपाहिच हो जाती है, और बिस्तर
पकड़ लेती है।
पूरे गाँव को पता था की यह काव्या की करतूत थी, पर काव्या के पिता गाँव के रसूखदार सरपंच होने की वजह से किसी ने भी
काव्या की और उंगली नहीं उठाई। और रमा भी अपनी सहेली को माफ कर देती है। आगे चल कर
काव्या शादी कर के अपने ससुराल चली जाती है। और रमा अपने पिता के घर बिस्तर पर
लाचार अपाहिच की जिंदगी बिताती रहती है।
जो लड़का काव्या को छोड़ कर रमा से शादी करने के लिए
राजी हुआ था। वह रमा के घर जाता है और बिस्तर पर पड़ी अपाहिच रमा को अपनी पत्नी
बनाने के लिए तयार हो जाता है। रमा की शादी उस लड़के से कर दी जाती है। और शादी के
ठीक दूसरे दिन रमा चमत्कारिक तरीके से ठीक हो जाती है। और उसकी ज़िंदगी की सारी
खुशियाँ लौट आती हैं।
अपने ससुराल में बैठी काव्या के सिने पर साप लौटने
लगते है। और वह फिर रमा को बरबाद करने “भदौली” लौट आई थी। बार बार काव्या ने रमा
पर जानलेवा हमले करवाए। उसे बदनाम किया। रुसवा किया, पर रमा का
पति रमा पर आंच नहीं आने देता था।
एक दिन अचानक खून से सने कपड़े और रमा के गहने यहीं
मंदिर की सीडियों के पास पाये जाते हैं। पर रमा कभी नहीं मिली। आज भी रमा के खून
सने कपड़े और गहने के सिवा उसका कोई सुराग नहीं मिला। रमा के गायब होने के बाद
काव्या अपने पति के साथ विदेश चली गयी। और वह कहानी आज भी अधूरी है...
==
दीपिका समज जाती है। की उस जनम की काव्या कोई और
नहीं वह खुद है। और बदला लेने के लिए उसके पीछे पड़ी आत्मा रमा की ही है। पर उसे यह
पता नहीं चलता की उस जनम में काव्या होते हुए उसने रमा के साथ क्या किया था? और रमा कैसे मरी होगी।
फिर अचानक बिल्डिंग की छत पर रमा की आत्मा के कहे
हुए शब्द दीपिका को याद आते हैं जो कुछ इस प्रकार थे...
“जा जाकर
देख “आज भी उस गाँव के टीले पर मेरी रूह चीखती हुई मिलेगी तुजे”
फौरन दीपिका गाँव के टीले की जमीन पर जा कर इधर उधर
देखने लगती है। तभी वहाँ दीपिका को एक विकराल चीख सुनाई देती है। और रमा की आत्मा
दीपिका को अपने साथ किए गए अत्याचार का चित्र दिखा देती है... चित्र कुछ इस प्रकार
होता है...
“चित्र”
“दीपिका देखती है की उसने काव्या वाले जन्म में
अपने पति और उनके दोस्तों के साथ मिल कर रमा और उसके पति को अगवाह किया है, और काव्या खुद के पति से और उनके दोस्तों से रमा के पति के सामने रमा का
बलात्कार करवाती है, और उसके बाद रमा के सामने उसके पति को
मार दिया सब ने मिल कर। उसके बाद रमा को खून से लथपत जीवित ही अपने पति के साथ
वहीं टीले पर गाढ़ दिया” फिर सब वहाँ से, सारे निशान मिटा कर
चले जाते हैं।“
यह सब देख कर दीपिका की चीख निकल जाती है, और उसे खुद से घीन आने लगती है। दीपिका फुट फुट कर रोते हुए अपने लिए रमा
की आत्मा से मौत मांगने लगती है।
पर रमा की आत्मा दीपिका को कहती है
की...
अब मुजे तुमसे नफरत भी ना रही। मेंने जब से अपना
दुख तुम्हें बता दिया, और जब से तुम्हें यहाँ बुलाया है, मेरी सारी नफरत और तुम्हारे प्रति रोष खत्म हो चुका है। मेंने तुम्हें
माफ किया। अब तुम अपनी दुनियाँ में लौट जाओ, मेरी मुक्ति
मुजे बुला रही है। सदा खुस रहो “मेरी सहेली” अब में सदा के लिए जा रही हूँ।
हमारे पूर्व जनम के किस्से को यहीं दफन कर दो। और मेरे अपने,
और मेरे पति के अवशेषो को यहाँ से खुदवा कर उसका उसका अंतिम संस्कार करवा दो। और
मुजे अलविदा कहो।
जिस प्रकार तुम्हारा इस जनम का संसार मेंने बदले की
आग में तबाह किया, उसी प्रकार में जाने से पहले सब
ठीक कर के जाऊँगी। तुम्हारा परिवार और ससुराल तुम्हें फिरसे अपनाएगा यह मेरा वादा।
“तुम्हारी पूर्व जनम की सहेली रमा का वादा”
==
दीपिका रमा और उनके पति के कंकाल टीले की जमीन से खुदवाती
है, और खुद को पुलिस के हवाले करती है। पर पूर्व जनम में कानून मानता नहीं
है। इस लिए दीपिका को दोषी नहीं माना जाता है। और उसे कोई सजा नहीं मिलती है। पूरा
किस्सा आग की तरह फ़ेल जाता है। और दीपिका के माता-पिता और ससुराल वाले दीपिका को
सम्मान के साथ ससुराल वापिस ले आते हैं। आगे का जीवन दीपका हसी खुशी बिताती है। और
रमा की आत्मा अपना वादा पूरा कर के “मौक्ष” प्राप्त कर लेती है।
सार- क्रोध
और बदले की भावना इन्सान को वेशी बना देती है। इस लिए पूरी सच्चाई जाने बिना जहर
नहीं पालना चाहिए। और रमा की आत्मा के पात्र की तरह माफ करना सीखना चाहिए। माफी
दिये बिना भटकन ही मिलती है। “मोक्ष” पाने के लिए माफ करना ही पड़ता है।
Note- यह एक
काल्पनिक कथा है। रीडर्स के मनोरंजन के लिए। और सार प्राप्त करने के लिए। इस कहानी
का किसी भी जीवित यां मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है। क्रिपिया रीडर्स
विवेक से काम लें।
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धन्यवाद
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