मेरा नाम मणिबहन है और में पोरबंदर शहर के रेल्वे स्टेशन विस्तार में रहेती हूँ। कुछ दिनों पहले में सब्जी लेने बाज़ार गयी थी। और रेल्वे स्टेशन रोड पर चल कर आ रही थी। अचानक मेंने देखा की एक बकरी रेल की पटरियों के पास पड़ी थी। जो शायद मर चुकी थी। क्यूँ की वह हिल डुल नहीं रही थी।
मैं आगे चलने लगी। पर अचानक मुजे ऐसा लगा की
कुछ चीज मेरा पीछा कर रही है। मेरी साँसे तेज होने लगीं। मेंने गभराते हुए पीछे
देखा तो बकरी का एक पैर मेरे साथ साथ आ रहा था।
मरी हुई बकरी का पैर इतना लंबा हो कर जैसे
मेरे पीछे आ रहा था। मेरे तो होंश ही उड़ गए। मेंने सब्जी का थैला फेंक दिया। और
दौड़ कर भागने लगी। पर बकरी का पैर मेरे साथ साथ ही दौड़ने लगा।
शरदियों के दिन होने की वजह से अंधेरा जल्दी
हो गया था। और इसी वजह से पूरे इलाके में कोय भी नहीं था। फिर भी में डर के मारे
ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी। थोड़े आगे जा कर में एक खंभे से टकरा कर गिर पड़ी। वहाँ पर
एक औरत ने आ कर मेरे मुह पर पानी मार कर मुजे जगाया, और
मेरा थैला वापिस लेने वह मेरे साथ भी आई।
हम दोनों फिर उसी जगह गये तो हमने देखा की
वहाँ कोई मरी हुई बकरी थी ही नहीं। और उस औरत ने मेरा बिखरा हुआ सामान (सब्जी
तरकारी) समेट कर थैले में भरा दी। और हम दोनों साथ साथ आगे बढ्ने लगीं।
कुछ देर बाद उस औरत ने कहा की उसका घर आ गया
है,
और वह दूसरे रास्ते मुड़ने लगी। में भी उसका शुक्रियादा करते हुए आगे
बढ्ने लगी। और आखरी बार मैंने मूड कर उस गली की और देखा जहां पर वह औरत जा रही थी।
मेरी हालत तब बिगड़ गयी जब मेंने देखा की वह
औरत चलते चलते गायब हो गयी, और वहीं नीचे देखा तो वह मरी
हुई बकरी बन गयी थी। इसका मतलब की वही भूत बकरी औरत का रूप ले कर मेरी मदद करने आई
थी।
वह दिन है और आज का दिन है मेंने कभी उस
रास्ते पर पैर नहीं रखा है। आज भी उस डरावने वाकये को याद कर के मेरी रूह कांप
जाती है। "मणिबहेन"
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यह एक सत्यघटना अनुभव है। जो मणिबहन नाम की
महिला ने खुद अनुभव की है। मणिबहन ने यह स्टोरी खुद हमे अपने अनुभव के आधार पर
भेजी है।
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ReplyDeleteinternet technology aur bhi bohut kuch jaankari milegi