Monday, August 8, 2016

Short Biography Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – महात्मा गांधी जीवनी


भारत देश के अमूल्य रत्न महात्मा गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर सन 1869 के दिन हुआ था। उनका जन्म स्थान पोरबंदर, (कठियावाड गुजरात-सौराष्ट्र) बताया जाता है। गांधीजी नें अपनी प्राथमिक शिक्षा से ले कर मैट्रिक तक की पढ़ाई स्वदेश में की थी, उसके उपरांत वह बारिस्टर / वकालत (advocate) की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन) गए थे। वकील की डिग्री हासिल करने के बाद गांधीजी नें भारत में वकालत शुरू की थी। गांधीजी को “बापू” के नाम से भी पुकारा जाता था। गांधीजी जीवन भर “भारतीय राष्ट्रिय कॉंग्रेस” से जुड़ कर राजनीति क्षेत्र में सक्रिय रहे। गांधीजी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था। उन दोनों को कुल चार पुत्र थे, हरीलाल, मणिलाल, रामलाल और देवदास। गांधीजी स्वदेशी चरखे से बनी धोती और शौल पहनते थे।

महात्मा गांधीजी के जीवन के महान गुण और उनके अभूतपूर्व निर्णय – Life Style of Gandhiji

साबरमती आश्रम में अपने जीवन का अधिकतम समय बिताने वाले महात्मा गांधीजी आत्म शुद्धि के लिए वह उपवास का व्रत लेते थे। खाने में गांधीजी सादा शाकाहारी भोजन लेते थे। रुष्ट होने पर वह मौन व्रत धारण कर लेते थे। दक्षिण आफ्रिका में आंदोलन, भारत में अश्पृश्यता निवारण, नमक सत्याग्रह (दांडी कूच), भारत छोड़ो आंदोलन से गांधीजी को अभूतपूर्व आदर तथा लोकप्रियता प्राप्त हुई थी। “सत्य” और “अहिंसा” के पुजारी महात्मा गांधीजी एक अति सम्माननीय राजनेता / क्रांतिकारी / मार्गदर्शक / आदर्श थे।       


महात्मा गांधी दक्षिण आफ्रिका में एक क्रांतिकारी नायक बनें – Gandhiji In South Africa    

गांधीजी जब दक्षिण आफ्रिका में गए थे, तब उन्हे भारतीय होने के कारण (रंग भेद नीति के चलते) ट्रेन से धक्का दे कर बाहर फैंक दिया गया था। येही वह समय था जब महात्मा गांधीजी नें अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया था। उन्होने ठान लिया की यह खेद जनक स्थिति बदलनी चाहिए। और उन्होने खुद इस महान क्रांति का ब्यूगल बजाया।

महात्मा गांधीजी नें वहाँ सत्याग्रह किए, शांति पूर्ण आंदोलन किए, वहाँ के लोगों का दिया हुआ अपमान सहा, शारीरिक तथा मानसिक कष्ट भी सहेन किया। क्रांति की राह पर जितना ज़्यादा उन्हे दर्द और तकलीफ बढ़ती गयी उनके इरादे उतने ही प्रबल बनते गए। अंत में गांधीजी को वहाँ वह सम्मान प्राप्त हुआ जिसके वह हकदार थे। गांधीजी नें वहाँ लोगों के विचार बदल कर रख दिये। और फिर वह अपने वतन भारत आए।


गांधीजी नें दक्षिण आफ्रिका से भारत लौटते ही अंग्रेज़ो के खिलाफ आज़ादी की जंग छेड़ दी।  

भारत लौटते ही गांधीजी नें सम्पूर्ण स्वराज्य हासिल करने के कार्य में अपना सब कुछ लगा दिया। ज़ालिम अंग्रेज़ो की गिरफ्त में कैद हमारे देश भारत को आज़ादी दिलाने के लिए गांधीजी तन मन और धन से कटिबद्ध हो गए। स्वतन्त्रता संग्राम के चलते गांधीजी कई बार जेल में भी गए। शारीरक और मानसिक उन्होने अंग्रेज़ो के सामनें “सत्य” और “अहिंसा” के अचूक अभेद हथियार से वार किया।

समय बीतने के साथ महात्मा गांधीजी का कद दिन प्रति दिन बढ्ने लगा था। अंग्रेज़ यह जानते थे की अगर गांधीजी उपवास या सत्याग्रह में किसी आंदोलन के दौरान हताहत (मृत्यु होना / मौत होना) हुए तो पूरा देश क्रांति की आग में सुलग उठेगा और अंग्रेजों को शासन करना मुश्किल हो जाएगा।


गांधीजी पर लगे कुछ आरोप – Blames On Mahatma Gandhi   

मतभेद होने पर गांधीजी अपनी बात मनवाने वाले ज़िद्दी स्वभाव के इन्सान थे। उनके कई सह-स्वतन्त्रता सेनानि यह बात कबुल कर चुके थे। ऐसा भी कहा जाता है की अगर गांधीजी ज़ोर लगाते तो भगत सिंह, सुख देव और राज्य गुरु की फांसी रोकी जा सकती थी। प्रधान मंत्री पद के लिए जवाहर लाल नेहरू से सुभास चंद्र बोस कई गुना अधिक काबिल शक्षीयत थे फिर भी गांधी की ज़िद की वजह से जवाहरलाल नेहरू को प्रधान मंत्री पद दिया गया।


भारत की आज़ादी का समय और गांधीजी की हत्या – Mahatma Gandhiji killed by Nathuraam Godse  

कई भारतीय लोगों के अथाक परिश्रम और क़ुरबानीयों के बाद भारत माँ को वर्ष 1947 में आज़ादी प्राप्त हुई। और पूरे देश में एक सुर के साथ गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर संबोंधन दिया जाने लगा। अपने कपड़े चरखे से खुद बनाना। बकरी का दूध पीना, समानता में विश्वास रखना, हिंसा और बल का प्रयोग ना करना, हमेशा सत्य बोलना येही सब गांधीजी के गुण थे। गांधीजी के बारे में उन्हे जानने वाले जो भी कहें पर देश की आज़ादी की लड़ाई में उनके दिये हुए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।


30 जनवरी 1948 के दिन गांधीजी की हत्या कर दी गयी थी। गांधीजी की हत्या नाथुराम गोडसे नामक व्यक्ति नें उन्हे गोली मार कर की थी। एक उंच विचारक, प्रचंड प्रबल आत्मविश्वास के साथ जीने वाले और देशप्रेमी महान (शांतिदूत) क्रांतिकारी महात्मा गांधीजी को हमारा नमन।
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