आर्थराइटिस हड्डियों में उत्पन्न होने वाला
रोग है। मानसिक तनाव, गलत खानपान और हद से अधिक शारीरिक श्रम की वजह से व्यक्ति आर्थराइटिस रोग
का शिकार बन सकता है। कभी कभी मोटापा भी इस रोग की वजह बनता है। आर्थराइटिस के रोगी
को घुटनों, जांघों और पैरों के टखनों में दर्द की शिकायत रहेती
है। इस रोग का शिकार होने वाले व्यक्ति को तुरंत अपना खानपान सुधारने की आवश्यकता होती
है। रोगी को हड्डियों को फाइदा पहोंचाने वाले आहार का सेवन करना चाहिए,
आर्थराइटिस के साथ प्रभाव देने वाली अन्य बीमारियाँ
· एंकिलोजिंग स्पोणिड्लाइटिस – यह रोग
चालीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होने की संभावना अधिक होती है। इस रोग से ग्रस्त
हुए व्यक्ति की गरदन के ऊपरी भाग पर दर्द होने की शिकायत होने लगती है। और कभी कभी
कमर के नीचे के भाग में भी दर्द होने की शिकायत होती है, जिसके कारण
हलन चलन करने में बाधा आती है। (Arthritis)
·
सर्वाइकल स्पोणिड्लाइटिस- इस प्रकार
के रोग मे भी गरदन की हड्डियाँ दर्द करतीं हैं। और कमर के निचले हिस्से पर दर्द होने
की शिकायत होती है। (Arthritis)
·
आस्टियो आर्थराइटिस – यह रोग
मुख्यतः घुटनों और जांघों और पैरों के टखनों पर प्रभाव डालता है। अधिक वजन वाले व्यक्ति
को यह रोग होने के अधिक chances होते हैं। इस रोग से
ग्रस्त व्यक्ति को कंधों के जोड़ों में भी दर्द की शिकायत रहेती है। (Arthritis)
·
रुमेटाइड आर्थराइटिस- यह एक भयंकर
रोग है। पच्चीस से चालीस साल के व्यक्तियों को यह रोग अधिक संक्रमित करता है। इस रोग
के हो जाने पर शरीर के छोटे जोड़ों में भयानक दर्द होने की शिकायत होती है। कभी कभी
जोड़ों में अकड़न भी महेसूस होती है। हाथों और पैरों की उँगलियाँ और कलाई के छोटे जौड
इस रोग का निशाना होते हैं। इस रोग की वजह से रोगी के हाथों और पैरों में विकृतियाँ
भी उत्पन्न हो सकती है। रोगी के द्वारा इस रोग का सही समय पर उपचार शुरू ना किया जाए
तो, लंबे समय तक कष्ट भोगना पड़ सकता है।
(Arthritis)
·
गाऊटी आर्थराइटिस- इस प्रकार
के रोग में रोगी को हाथ और पैरों के पंजों में दर्द की शिकायत रहेती है। दर्द अधिक बढ़ जाने पर असह्य दुख होता है। गाऊटी आर्थराइटिस के रोगी को पंजों में रहे रहे कर भी
दर्द उठता है।
आर्थराइटिस के रोग में राहत पाने
के लिए इतना करें
·
आर्थराइटिस के रोग का निदान होने पर गभराए
बिना किसी चिकित्सालय में जा कर अनुभवी डॉक्टर की देखरेख में एक से दो दिन उपवास करना
चाहिए। और सारे ज़रूरी टेस्ट करा कर आर्थराइटिस की तीव्रता कितनी है यह जान कर अपना
खानपान और दिनचर्या का कार्यक्रम बनाना चाहिए। (Arthritis)
·
आर्थराइटिस का रोग होने पर हरी सब्जी और फल
का सेवन करें। फल फ्रूट और हरी सब्जी से रक्त क्षारिता में वृद्धि होती है और शरीर
को पोटेश्यम भी प्राप्त होता है। खनिज पदार्थ शरीर के लिए अति आवश्यक होते हैं। शरीर
में अधिक निमक जमा हो जाने के कारण उत्पन्न हुए हानिकारक द्रव्यों को शरीर से बाहर
निकालने के लिए वह मदद करते हैं। (Arthritis)
·
आर्थराइटिस से ग्रस्त व्यक्ति को खाने में
वसा की मात्रा कम लेनी चाहिए। और खाने में नमक का उपयोग भी सीमित करना चाहिए। प्रोटीन
युक्त चिज़े भी लिमिट में ही खानी चाहिए। (Arthritis)
·
विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करना लाभदायी
होता है। रसांग वाले फल भी खाने चाहिए। ऐसा करने से शरीर के हर एक जौड की प्रतिकारक
शक्ति बढ़ती है। और जौडों तथा ऊतकों की रक्षक प्रणाली भी प्रबल होती है। (Arthritis)
आर्थराइटिस के रोग में ज़रूरी परहेज
1. आर्थराइटिस
के रोगी को दहीं, छाछ, दूध, मक्खन, दूध मलाई, पनीर, मावा, और चीनी
का सेवन फौरन रोक देना चाहिए। मांस आहार, package foods, केक, पेस्टी भी
नहीं खाने चाहिए। (Arthritis)
2. चाय, कॉफी का
सेवन भी तुरंत बंद कर देना चाहिए। किसी भी तरह का नशा जैसे के मदिरा, हुक्का, स्मोकिंग, और खैनी
चबाना बिलकुल बंद कर देना चाहिए। (Arthritis)
3. अधिक वजन
जोड़ों पर बोज डालता है। इस लिए आर्थराइटिस के रोगी को अपना वजन जल्दी से काबू में लाना
परम आवश्यक है। (Arthritis)
विशेष
आर्थराइटिस एक विकट बीमारी है। पर इस रोग से ग्रस्त होने
पर भयभीत नहीं होना चाहिए। योग्य थेरेपी और सही खानपान अपनाने पर इस रोग को जड़ मूड
से उखाड़ा जा सकता है। किसी भी प्रकार का आयुर्वेदिक उपचार करने से पूर्व किसी अनुभवी
डोकोटर की सलाह लेना अनिवार्य है। और तकलीफ बढ़ जाने पर तुरंत डोकोटर के पास जाना चाहिए।
किसी भी प्रकार के रोग को शुरुआत में ही रोक दिया जाए तो आगे चल कर भयंकर परिणाम से
बचा जा सकता है। (Arthritis)
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