डायबिटिज एक गंभीर बीमारी
है। इस रोग को हिन्दी में मधु प्रमेह कहा जाता है। इस बीमारी का पता कभी कभी लोगो
को बड़ी देर से चलता है। इस रोग में रोगी को पिशाब जाने पर मूत्र के साथ गाढ़ा शहध
जैसा द्रव्य निकलता है। डायबिटिज अपना प्रभाव रोगी पर धीरे धीरे बढ़ाता जाता है। यह
रोग एक धीमे जहर के बराबर है।
Diabetes rog ke lakshan –
डाइबिटिज रोग के लक्षण
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डायबिटिज
के दरदी को अगर घाव लग जाए तो जल्द ठीक नहीं हो पाता है। और घाव में रसि भी हो
जाते है। और डायबिटिज का रोगी कही पिशाब करे तो उस जगह पर छीटीयां तुरंत इकट्ठी हो
जाती है। मधुप्रमेह के रोगी की त्वचा कई बार रूखी पड़ जाती है।
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डायबिटिज
के दरदी के खून में शक्कर का कुछ भाग पहोंच जाने पर उसे शरीर पर खुजली भी होने
लगती है। और कभी कभी आँखों में कम रोशनी की शिकायत भी होती है। डायबिटिज के रोगी
को बार बार बाथरूम लगती है।
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डायबिटिज
का दरदी कम काम करने पर भी काफी थकान महसूस करता है। और डायबिटिज का रोगी काफी
पानी पीता है। चूँकि उसे अधिक प्यास लगती रहती है। तथा कई बार रोगी को कब्ज़ की
शिकायत भी अधिक रहती है।
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डायबिटिज
के दरदी को गभराहट, हाइ ब्लड प्रेसर, और चक्कर आने की शिकायत
भी हो जाती है। और कमर दर्द भी उबर आता है। डायबिटिज के दरदी के शरीर में शर्करा
बढ़ जाने पर शारीरिक दुर्बलता आ जाती है। और कभी कभी मर्दाना शक्ति घट जाने की भी
शिकायत हो जाती है।
Diabetes rog ke dardi ke liye jaruri parhej –
डायबिटिज
के दरदी के लिए जरूरी परहेज
डायबिटिज के रोगी को मीठा
कम से कम खाना चाहिए और हो सके तो बिल कुल नहीं खाना चाहिए। मिठाइया,
काजू, किसमिस, आलू, फलिया, गाजर, शक्कर कंद, बीन्स, और मटर का प्रयोग खाने में ना करें।
मैदे से बनी वस्तुए जैसे
की ब्रैड, बिस्कुट, नानखटाई, पाव, डबल रोटी, केक, पेस्टी और अन्य मैदे से बनी वस्तुओं से बिलकुल दूर
रहे। ठंडाई में आइस क्रीम, शक्कर वाला शरबत, और हर तरह के कोला,
तथा शहध से बिलकुल दूर रहें। बाहरी जंक फूड और एनर्जि ड्रिंक्स जैसे के होर्लिक्स,
बोनविटा, और अन्य पकिंग ड्रिंक्स का सेवन बिलकुल ना करें। नोनवेज कम
खाये या बिलकुल ना खाये।
डायबिटिज का रोग हो ही गया
हो तो शरीर को प्रवृत रखें। दिन भर बैठे ना रहें। और रात्री का भोजन शाम सात बजे
के आस पास कर लें। सुबह में हल्की धूप में वॉकिंग करने अवश्य जाएँ। सांस फूलने पर
बीछ बीछ में आराम करते चलें। और खाना ठूस ठूस कर ना खाये। खाना चबा कर ही खाये।
Diabetes rog ke dardi ke liye faydemand aayurvedik upchaar –
डायबिटिज के दरदी के लिए फायदेमंद upchaar
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डायबिटिज
के रोगी को करेले की की सब्जी खानी चाहिए। और करेले का रस पीना चाहिए। और कम शक्कर
वाला या बिना शक्कर का दूध पीना हितकारी होता है। इस से शरीर को शक्ति मिलती है।
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डायबिटिज
के दरदी को जांबुन के फल खाने से काफी फाइदा पहोचाते है। जांबुन की गुठलियों का
चूरन बना कर भी खाना फायदेमंद होता है। तथा नींबू पानी,
टमाटर का शुप पीना चाहिए। और हरी सब्जियों का सैलड, रोज खाना चाहिए।
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डायबिटिज
के रोगी व्यक्ति को पानी पीते रहना चाहिए। दिन में आठ से बारह गिलास पानी कम से कम
पीना चाहिए। और शहध और आंबला का रस पीने से भी डायबिटिज के रोगी को सेहत में फाइदा
पहोंचता है। और रेगुलर नासपाती, अमरूद और सेब का सेवन करना करना चाहिए।
Diabitis nivarak aayurvedik Nuske - डायबिटिज के दरदी के लिए उपियोगी आयुर्वेदिक नुसके –
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अमरूद
को आग में थोड़ी देर पकाए और उसका कीमा / भुरता बना कर उसमे थोड़ा नमक मिला कर खाने
से डायबिटिज के रोगी को काफी राहत मिलती है।
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त्रिफला
का काढ़ा पीने से डायबिटिज के दरदी को राहत मिलती है। यह मधुप्रमेह की एक उत्तम
दावा है।
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आंबला
का रस हल्दी और शहध को मिला कर उसका घोल पीने से भी डायबिटिज के रोगी को आराम
मिलता है। दस एम॰ एल॰ आंबला का रस लें और उसमे तीन गाम शहध मिला दें। फुर उसमे एक
ग्राम हल्दी मिला दें और तयार किए हुए घोल का सेवन रेगुलर करें। आंबले को सूखा कर
उसका चूरन खाने से भी डायबिटिज के रोगी को फाइदा मिलता है।
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जौ और
चने के आटे से तयार की गयी रोटी खाने से भी मधुप्रमेह के रोगी को फाइदा होता है।
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रात
में तीस ग्राम काले चने दूध में भिगो कर रख दें। और सुबह वह चने जब नर्म हो जाए तब
उन्हे दूध से निकाल कर खा लें। चने और जौ की बनी रोटी एकाद हफ्ते तक रोज खाने से
पेशाब में शक्कर जाना रुक जाता है डायबिटिज काफी हद तक कंट्रोल में आ जाता है।
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बीस
ग्राम तिल में देसी गुड (बिना केमिकल वाला) मिला कर खाने से डायबिटिज के रोगी को
फाइदा मिलता है।
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डायबिटिज
के रोगी पपीते का सेवन कर सकते हैं। पपीता, सुपारी का चुरा और कत्था मिला कर उसका काढ़ा बना कर
रोजाना पीते रहने से रोगी को आराम मिलता है।
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कच्चे
केले को सूखा कर उसका चूर्ण नित्य खाने से भी डायबिटिज के दरदी को राहत मिलती है।
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200
ग्राम ककोड़ा लें और उसे अच्छी तरह कूट डालें फिर उसे छान कर तीन तीन ग्राम दिन में
सुबह और शाम में लेने से मधु प्रमेह के रोगी को फाइदा मिलता है।
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कदली
क्षार, मुली क्षार, और पलाश का क्षार मिश्रित कर के उसे दिन में दो
समय इस घोल का नित्य सेवन करने से डायबिटिज के रोगी को राहत मिलती है।
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मिर्च,
दस से पंद्रह तुलसी के पत्ते, और करीब आठ से दस ग्राम काला जीरा साथ ले कर मिला
लें। थोड़ी मात्रा में काली मिर्च इस में मिला लें। अब और इस की मटर के दाने जैसी
छोटी छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों का सवेन रोज़ दिन में दो बार करने से
मधुप्रमेह के रोग की तीव्रता घट जाती है। सुबह और शाम,
एक समय में एक ही गोली लें।
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डायबिटिज
के रोगी को प्यास अधिक लगती है, और इस समस्या को दूर करने के लिए एक गिलास पानी ले
कर उसमे आधा नींबू निचोड़ कर पी लेने से बार बार प्यास लगने की समस्या दूर हो जाती
है। पर यह प्रयोग करने से पहले देख लें की कहीं दरदी को खट्टा खाना पीना मना तो
नहीं है ना। जौड़ों में और हड्डियों में जिनहे दर्द रहता हो वह नींबू का प्रयोग ना
करें।
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ऑरेंज
/ नारंगी के छिलके ठंडी जगह पर छाव में सूखा लें। फिर उन्हे पीस कर उनका पाउडर बना
लें। मुट्ठी भर पिसा हुआ पाउडर थोड़े से पानी में डाल कर उबाल लें। फिर वह पानी छान लें। और मधुप्रमेह के रोगी को
पीला दें। यह प्रयोग नित्य करने से मधुप्रमेह के रोगी को सेहत में फाइदा मिलता है।
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गेहूं
के पोधे को पीस कर उसका रस निकालें और वह रस पीने से भी डाइबिटिज के रोगी को आराम
मिल जाता है।
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भिंडी
की डंडी यानी की उनका कैप काट लें फिर कटि हुई डंडीयां छाया में सूखा दें। फिर
उन्हे कूट डालें और बारीक छननी से पाउडर छान लें। इस पाउडर में समान मात्रा में
मिश्री मिला लें। अब तयार किया हुआ पाउडर दिन में दो वक्त यानी सुबह और शाम खाली
पेट मटके के पानी / सादे ठंडे पानी के साथ लें। डायबिटिज रोग को मिटा देने का यह
एक उत्तम उपाय है। कई लोग इस उपाय से रोग मुक्त भी हुए हैं।
विशेष -
डायबिटिज के दरदी का,
दवाइयाँ खा कर कुछ भी खाते रहना एक दुकसान दायक आदत है। चूँकि रोज़ दवाइयाँ खाते
खाते एक दिन दवाई का एंटीबायोटिक जीवाणुओं से लड़ने में नाकाम हो जाता है। और रोगी
बिस्तर पकड़ ले सकता है। इस लिए एंटीबायोटिक दवाइयों के सहारे कुछ भी अनशन खा कर
खुद को खतरे में ना डालें।
डाइबिटिज का रोग आनुवांशिक
भी हो सकता है। अधिक मानसिक दबाव के कारण भी यह रोग उत्पन्न हो सकता है। गलत
खानपान और बैठालु जीवन से भी व्यक्ति इस दुष्कर रोग का शिकार हो सकता है। क्रिपिया
खानपान सही रखे शरीर को प्रवृत रखें। भय और चिंता का त्याग करें। और स्वस्थ जीवन
जिये।
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“क्या ले कर आए थे,
क्या ले कर जाएंगे, कफन में तो जेब भी नहीं होती। ना तो दुनियाँ में
कोई साथ आता है, ना तो दुनियाँ से कोई साथ जाता है। ईर्षा त्याग कर
के मौज में रहें, और संतोष रख कर कर्मशील जीवन बिताए।“
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ReplyDeleteVery good information about the ayurvedic treatment
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