एक समय की बात है जब अकबर की सल्तनत काफी सुख भरे दिन बिता रही थी, तभी एक सनकी किसम का मस्तिखोर मुसाफिर काली अकबर बादशाह की सल्तनत मे घुस आता है,
और सारी प्रजा का जीना दुसवार कर देता है, बात बात पर सब को चिढ़ाना, सब की खिल्ली उड़ाना, और नयी नयी शर्ते रख कर लोगो को challenge दे कर हरा देना, ये सब करने मे काली बहोत आनंद मिलता था, और एक बात पर काली काफी इतराता था के कोय भी उसकी असलियत यानि के वो किस जात-समाज का है वो पहेचान नहीं सकता, क्यू की काली बहोत सारी भाषा ऐ (languages) बोलने मे माहिर था ओर, अपना रूप भी बड़ी अच्छी तरह बदल लेता था, दिन पर दिन बीतने लगे ओर काली का मस्ती मिजाजी आतंक फेलता गया, ओर अब तो काली पूरी सल्तनत मे चर्चे का विषय बन गया था,
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और सारी प्रजा का जीना दुसवार कर देता है, बात बात पर सब को चिढ़ाना, सब की खिल्ली उड़ाना, और नयी नयी शर्ते रख कर लोगो को challenge दे कर हरा देना, ये सब करने मे काली बहोत आनंद मिलता था, और एक बात पर काली काफी इतराता था के कोय भी उसकी असलियत यानि के वो किस जात-समाज का है वो पहेचान नहीं सकता, क्यू की काली बहोत सारी भाषा ऐ (languages) बोलने मे माहिर था ओर, अपना रूप भी बड़ी अच्छी तरह बदल लेता था, दिन पर दिन बीतने लगे ओर काली का मस्ती मिजाजी आतंक फेलता गया, ओर अब तो काली पूरी सल्तनत मे चर्चे का विषय बन गया था,
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