ये कहानी है रवि और किशन की, ऐसे दो दोस्तो जो ज्योतिष शास्त्र मे काफी मानते है, और हमेशा यह जानने के लिए उत्सुक रहेते है के उन के भविषय मे क्या लिखा है,
जब भी कभी कोय साधू या महात्मा या ज्योतिष शहर मे आता तब दोनों दोस्त रवि और किशन उनके पास पहोच जाते, और अपना भविस्य पूछने लगते,
हर बार नये नये ज्ञानी से दोनों को अलग अलग बाते सुनने को मिलती कोय कहता के तुम्हारा राजयोग है कोय कहेता तुम काफी गरीब ही रहोगे पूरा जीवन, कोय कहेता बहोत कस्ट लिखा है तुम्हारे भाग्य मे कोय कहेता के तुम्हारे दिन जल्दी बदल जायेंगे,
ऐसे ही समय बीतता रहेता है और सच्ची जूठी बाते सुन सुन कर रवि और किशन दिन पर दिन और ज़्यादा उत्सुक होते रहेते है, के काखीर हमारा कल होगा कैसा, दोनों ही दोस्त अपने स्कूल मे भी येही सोचते रहेते के आगे का जीवन केसा होगा? रवि और किशन के मातापिता और पड़ोसी भी इस बात से तंग आ गए थे के इन दोनों दोस्तो का तो एक ही राग होता है के भविस्य जानना है, बस,
एक दिन शहर मे एक जाने माने ज्योतिषी आते है, जो काफी प्रख्यात होते है भविस्यवानी करने मे, और महत्तम इनकी भविस्य वाणी सही पड़ती है, यह महात्मा ज्योतिष सारे वेदो के ज्ञाता है और सारे ग्रह नक्षत्र वगेरा के बारे मे बहोत ज्ञान रखने वाले अनुभवी इन्सान होते है,
रवि और किशन को तो जेसे भगवान मिल गये, वो तुरंत ही अपने सवालो की टोकरी ले कर उस महात्मा के पास पहोच जाते है, और अपना पसंदीद सवाल पूछते है के महाराज हमे बताइये के हमारा भविस्य केसा होगा, हम अमीर होंगे के गरीब, सुखी होंगे के दुखी, नामचीन होंगे के बेनाम रहे जायेंगे,
महात्मा ने अपनी दूर दर्शिता और ज्योतिष ज्ञान का उपयोग कर के, दोनों को उनका भविस्य बता दिया, और दोनों की हाथो की लकीरों का अध्यायन कर के सम्पूर्ण भविस्यवाणी कही
+पढ़िये दोनों का भविस्य+
महात्मा कहेते है रवि से : देखो रवि तुम स्वभाव से ही शांत, सब की बात सुनने वाले और तेजस्वी हो, और तुम्हें कोय ग्रह पीड़ा भी नहीं है, तुम्हारे भविस्य की गति बहोत ही उंच कोटी की होगी, समाज मे तुम्हारा नाम होगा तुम बहोत धन कमाओ गे, तुम जहा जाओगे इज्ज़त पाओगे, कोय तुम्हारे सामने दुसमानी कर के तिक नहीं पायेगा, तुम्हें आकस्मिक लाभ होंगे, और तुम्हारी आयु भी लंबी लिखी है, और तुम्हारा स्वास्थ्य भी अच्छा ही रहेगा, आजीवन,
महात्मा कहेते है किशन से : किशन तुम्हारे भविष्य मे काफी दुख और तकलीफ़े लिखी है, तुम एक क्रोधी व्यक्ति हो, हमेशा तुम्हारे जगड़े होंगे लोगो से, तुम्हारे ग्रह भी काफी कमजोर है, तूमे हर जगह से धुत्कार और नाकामियाबी मिलेगी, तुम अनाज के एक एक दाने के लिए तरसो गे, और तुम्हें कोई विद्या फल नहीं देगी, असमय मृत्यु और कमजोर स्वास्थ्य का खतरा है तुम पर और पूरे जीवन मे हर क्षेत्र मे तुम असफलता ही पाओगे। येही तुम्हारा भविष्य फल कहेता है,
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दोनों ही दोस्त घर चले जाते है अपने अपने और महात्मा के कहे हुवे वचनो का काफी गहेरा असर पड़ता है दोनों पर,
एक तरफ रवि अपनी अच्छी भविष्यवाणी जान कर, खेल कूद और मौज शोख मे लिप्त हो जाता है, और हर वक्त अपने आने वाले अच्छे भविस्य की बाते सब को सुनता रहेता है, जो मन करे वो खाना, लोगो से जो मर्जी पड़े वैसे व्यवहार करना, पैसे उड़ाना, इस तरह हर एक गलत आदत रवि मे आजती है, क्यू की रवि को ऐसा विश्वास हो जाता है के उसका तो भविष्य उज्वल है, तो फिर उसे चिंता करने की कोय बात ही नहीं,
दूसरी तरफ किशन काफी हताश हो जाता है, और अपना दुख अपनी दादी को सुनाता है, किशन की दादी किशन को कहेती है के "मेरे नन्हें राजकुमार अच्छा कर्म करो फल की चिंता छोड़ दो, आगे सब अच्छा होगा,"
दादी की यह सलाह किशन के दिमाग मे घर कर गयी और वो अच्छे कर्म के रास्ते पे निकाल पड़ता है,
क्रोध की दवा के लिए किशन ने अपना स्वभाव सुधारा
जगड़ो की जड़ की दवा के लिये किशन ने सब को माफ करना सीख लिया
धुत्कार मिलने की जड़ पहेचान कर किशन ने अपनी वाणी मधुर कर ली,
कमजोर स्वास्थ्य की जड़ उखाड़ ने के लिए किशन ने अपना खान पान सुधारा, और नित्य व्यायाम सुरू कर दिया
धन दौलत मे कमी न रहे इस लिये किशन ने बचपन मे ही अपना व्यवसाय सुरू कर दिया,
इस तरह किशन अपनी हर एक कमी और कमजोरी का इलाज करने लगता है...
इस तरह दोनों ही रवि और किशन अपनी जिंदगी मे आगे बढ़े, और काफी साल बीत जाने के बाद दोनों ही मित्र रवि और किशन अपने बताये गए भविस्य की विरुद्ध परिस्थिति पे खड़े मिलते है, ये देख कर रवि बहोत गुस्सा हो जाता है, और बोलता है के ऐसा क्यू हुआ मेरे साथ, मेरा तो भविष्य अच्छा लिखा था, तो मे कैसे आज बर्बाद हु, और किशन तुम केसे एक सफल और सुखी इन्सान हो सकते हो? , जब की तुम्हारा भविस्य तो काफी खराब बताया गया था बचपन मे?
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दोनों ही मित्र उस महात्मा के पास वापिस जाते है और उनकी की गयी भविस्यवाणी की याद दिलाते है, क्यू की दोनों के लिये की गयी भविस्यवानी गलत निकली थी,
अब महात्मा रवि और किशन को कहेते है के....
महात्मा: मैंने जो भी भविष्यवाणी की वो तुम्हारे वर्तमान ग्रहो की स्थिति और भाग्य रेखा को पढ़ कर की थी, जो उस समय वही बता रही थी जो मेने कहा, पर फर्क इतना है के रवि तुमने अपने अच्छे भविस्य के मध मे बुरे कर्मो का रास्ता अपना लिया और किशन तुमने अपनी कमजोरिया पहेचान कर उसका उपचार किया, और अपना भाग्य बदल दिया, इन्सान को कुदरत की और से कितना मिले उसपर इन्सान का कोय काबू नहीं पर, अपने कर्मो से कुछ हासिल करना या गवा देना कुछ भी ये तो इन्सान के अपने हाथ मे होता है,
इसी लिए किशन तुम कमनसीब होने के बावजूद आज कर्मवीर बन गये, और रवि तुम भाग्यशाली होते हुवे भी आज "लकीर के फकीर" बन कर रहे गये,
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सीख- भाग्य के सहारे बैठे रहेने से बहेतर है अच्छे कर्म से अपना भाग्य खुद लिखे॥
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