गंगा किनारे एक बहोत ही खूबसूरत गाव था, जहा पर बहोत ही सीधे लोग रहेते थे, उसी गाव मे एक किसान रहेता था जिसका नाम हरिया था, हरिया काफी महेनती और प्रामाणिक था, हरिया के चार बेटे थे,
हरिया खेतो मे अकेला काम करता था, उसके बेटे कभी काम मे अपने पिता का हाथ नहीं बटाते थे,
एक दिन हरिया सोचता है के ऐसे तो मेरे बेटे आगे जाके दुखी हो जायेगे, फिर हरिया अपने बेटो को सुधारने के लिये एक तरकीब निकालता है
अपने चारो बच्चो को बुला के हरिया कहेता है के अब मे अकेला थक जाता हूँ और तुम लोग भी काम मे मेरी मदद नहीं करते हो, इस लिए मे हमेशा के लिए तुम चारो को छोड़ कर हिमालय की और जा रहा हु और वही भक्ति करते करते अपने प्राण दूंगा, अगर तुम लोगो को खेती करनी है तो करना, वरना घर की एक एक चीज वस्तु और जायदात बेच कर अपना गुज़रा करना फिर आगे तुम लोग अपनी जिंदगी के मालिक,
बच्चे इस बात को भी अपने पिता का मज़ाक समज कर अनसुना कर देते है, और जब अगले दिन सुबह उठ ते है तो सच मे हरिया गायब हो जाता है, चारो बेटे परेशान हो जाते है और कई दिन तक हरिया की तलाश करते है, पर हरिया तो गायब ही हो गया, अपने बेटो की जिंदगी से,
घर छोड़ के जाते समय हरिया एक खत छोड़ जाता है अपने बेटो के लिए,
खत
मेरे बेटो तुम चारो मुजे बहोत प्यारे हो, पर मेरे लाख समजाने पर भी तुम मे से किसी ने मेरी काम मे मदद न की और थक हार कर मेने बिना मर्जी तुम लोगो को छोड़ ने का कठिन निर्णय लिया है,
मुजे पता है के तुम चारोंको महेनत पसंद नहीं और चमत्कार से मालामाल होने की कामना है, इस लिए मेने पूरी महेनत कर के जो धन कमाया है, उसे हमारे बड़े खेत मे गाड़ रखा है, अगर जिंदगी मे कुछ न कर पाओ तो उसे खोद कर निकाल लेना और उधार की जिंदगी मेरी उस दौलत से जी लेना,
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यह खत पढ़ कर बेटे उस समय तो भावुक हो जाते है, पर दो तीन दिन बीत ते ही कुल्हाड़ी फावड़ा ले कर वो गढ़ा खजाना निकालने लग जाते है, क्यू की काम तो होना नहीं था किसी से,
लगादार १५ दिन खेत खोद ते रहेते है एक एक कोना छान मारा, पर ज़मीन के अंदर से,एक फूटी कौड़ी न मिली।
चारो बेटो का दिमाग हिल गया, और बोलने लगे के हमारा बाप कितना बड़ा जूठा है और बे वजह हमसे इतनी महेनत करवादी। चारों बच्चे जी भर भर के हरिया को कोसने लगते हैं।
एक रात को चारो भाई बैठ कर सिर खुजा रहे थे की, ये क्या हुआ हमारे साथ, हमने केसे भरोसा कर लिया अपने पिता की बात का, तभी चारो मे से बड़ा बेटा बोलता है के अब खेत तो खुद ही गया है हमसे,,, और घर मे पैसा भी नहीं बचा है, तो क्यू न लगे हाथ खड्डो मे बीज बो दे,
तो फसल उग आये, और कुछ कमाई भी हो जायेगी? वैसे भी बेकार ही तो बैठे है पानी छिड़कते रहेंगे, खेतो मे,
बाकी के तीन भाई भी इस बात मे हाँ बोलते है, और चारों मिल कर तीन महीने तक फसल सिचते रहेते है,
खेतो मे फसल लहेराने लगती है। पकी फसल से साल भर का अनाज मिल जाता है और उन्हे बाकी फसल बेच कर तगड़ा मुनाफा मिल जाता है,
जब पैसा ले कर चारों भाई घर आते है और अपने पिता हरिया की खत वाली बात याद करते है, तब चारो बेटो को ये समज आजता है के पिताजी इसी फसल के खजाने की बात कर रहे थे, जिसे हमे सींच कर निकालना था सिर्फ खोद कर नहीं, अब चारों भाइयों के मन में अपने पिता के लिए इज्ज़त खूब बढ़ चुकी थी, और उन्होने अपना सबक भी सीख लिया था।
तभी अपने बच्चो की सुधरने की खबर हरिया को मिल जाती है और तब हरिया अपने बच्चो के पास लौट आता है, फिर चारो बच्चे और हरिया साथ साथ काम करके हसी खुसी जीवन बिताते है। "समाप्त"
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